भारत में खाद्य उपभोग और गरीबी मापन का नया दृष्टिकोण: थाली आधारित विश्लेषण

भारत में खाद्य उपभोग और गरीबी मापन का नया दृष्टिकोण: थाली आधारित विश्लेषण

भारत में गरीबी के स्तर का अनुमान लगाने के लिए फरवरी 2024 में राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSS) द्वारा प्रकाशित घरेलू उपभोग सर्वेक्षण ने एक नई दृष्टि प्रदान की है। इस सर्वेक्षण के आधार पर अप्रैल 2025 में विश्व बैंक ने जो अनुमान प्रस्तुत किया, उसके अनुसार भारत में अत्यधिक गरीबी अब लगभग समाप्त हो चुकी है। हालांकि यह रिपोर्ट सुखद प्रतीत होती है, लेकिन जब भोजन की वास्तविक उपलब्धता को “थाली सूचकांक” के माध्यम से मापा गया, तो स्थिति उतनी उज्ज्वल नहीं रही।

गरीबी की पारंपरिक गणना बनाम थाली सूचकांक

पारंपरिक गरीबी मापन प्रणाली में शरीर को आवश्यक न्यूनतम कैलोरी आधारित भोजन की कीमत को आधार बनाकर निर्धनता रेखा तय की जाती है। परंतु यह केवल कैलोरी को ध्यान में रखती है, न कि पोषण और भोजन की संतुष्टि को। इसीलिए “थाली सूचकांक” एक अधिक व्यावहारिक और समग्र दृष्टिकोण देता है, जिसमें एक संतुलित भोजन — जैसे चावल, दाल, सब्ज़ी, रोटी, दही और सलाद — को मानक माना गया है।
Crisil के अनुसार, एक घर में तैयार थाली की कीमत ₹30 मानी गई। इस कीमत के आधार पर पाया गया कि 2023-24 में ग्रामीण भारत की 50% और शहरी भारत की 20% जनसंख्या प्रतिदिन दो थाली खरीदने में असमर्थ रही। यदि इसे न्यूनतम पोषण मानक माना जाए, तो भारत में खाद्य असुरक्षा का स्तर, विश्व बैंक की गरीबी रिपोर्ट की तुलना में कहीं अधिक गंभीर है।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) की वास्तविकता

यह सामान्य धारणा है कि PDS खाद्य असुरक्षा को प्रभावी रूप से दूर करती है। परंतु जब PDS के माध्यम से प्राप्त सब्सिडीयुक्त और निःशुल्क अनाज को उपभोग में जोड़ा गया, तब भी ग्रामीण क्षेत्रों में 40% और शहरी क्षेत्रों में 10% जनसंख्या दो थाली प्रतिदिन से वंचित रही।
सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि उच्च खर्च वाले तबके भी PDS का लाभ ले रहे हैं। उदाहरण के लिए, ग्रामीण भारत में 90%-95% वर्ग को प्राप्त सब्सिडी, सबसे गरीब 0%-5% वर्ग को प्राप्त सब्सिडी का 88% है, जबकि उनकी उपभोग क्षमता तीन गुना अधिक है। शहरी क्षेत्रों में भी यही प्रवृत्ति देखी गई है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • NSS ने 2024 में 11 वर्षों बाद घरेलू उपभोग सर्वेक्षण जारी किया।
  • Crisil के अनुसार ₹30 में एक संतुलित थाली की लागत तय की गई है।
  • 2023-24 में ग्रामीण भारत की आधी जनसंख्या दो थाली प्रतिदिन का व्यय नहीं उठा सकी।
  • केंद्र सरकार ने जनवरी 2024 में 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज देने की घोषणा की।
Originally written on September 20, 2025 and last modified on September 20, 2025.

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