भारत में कैंसर के बढ़ते मामलों की चिंता: डेटा विश्लेषण से सामने आई गंभीर तस्वीर

भारत में कैंसर के बढ़ते मामलों की चिंता: डेटा विश्लेषण से सामने आई गंभीर तस्वीर

हाल ही में 43 कैंसर रजिस्ट्रियों से प्राप्त आंकड़ों के विश्लेषण में भारत में कैंसर के मामलों और मृत्यु दर को लेकर चिंताजनक जानकारी सामने आई है। वर्ष 2024 में अनुमानित 15.6 लाख कैंसर मामलों और 8.74 लाख मौतों के साथ, भारत में कैंसर होने का आजीवन जोखिम 11% पाया गया है। यह अध्ययन न केवल कैंसर के प्रसार को उजागर करता है, बल्कि इसके रोकथाम और उपचार हेतु नीतिगत स्तर पर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है।

पुरुषों और महिलाओं में कैंसर की प्रवृत्ति

रिपोर्ट के अनुसार, देश में कैंसर के कुल मामलों में महिलाओं की भागीदारी 51.1% रही, लेकिन मृत्यु दर केवल 45% रही। इसका मुख्य कारण यह है कि महिलाओं में पाए जाने वाले प्रमुख कैंसर जैसे स्तन और गर्भाशयग्रीवा कैंसर का शीघ्र पता लगाना और इलाज संभव है। वहीं पुरुषों में अधिकतर फेफड़े और गैस्ट्रिक कैंसर जैसे प्रकार सामने आते हैं, जो देर से पहचान में आते हैं और इलाज में कठिन होते हैं।
स्तन कैंसर की पहचान अक्सर स्वयं महिलाओं द्वारा गांठ महसूस करने पर हो जाती है, जबकि फेफड़ों के कैंसर में ऐसे स्पष्ट लक्षण नहीं होते जो लोगों को जल्दी जांच के लिए प्रेरित करें।

मौखिक कैंसर की बढ़ती समस्या

पुरुषों में सबसे आम कैंसर अब मौखिक कैंसर बन चुका है, जो फेफड़े के कैंसर से भी आगे निकल गया है। यह तथ्य चौंकाने वाला है, क्योंकि देश में तंबाकू सेवन की दर में कमी आई है। विशेषज्ञों का मानना है कि कैंसर के कारक तत्वों का दीर्घकालिक प्रभाव, और शराब सेवन जैसे अन्य जोखिम कारक भी इसकी वृद्धि में योगदान दे रहे हैं।
विशेषज्ञों ने चेताया है कि तंबाकू और शराब का संयुक्त उपयोग, कैंसर के खतरे को कई गुना बढ़ा देता है, विशेषकर मौखिक, ग्रसनी, जठर और कोलन कैंसर में।

पूर्वोत्तर भारत में कैंसर का सबसे अधिक बोझ

पूर्वोत्तर भारत में कैंसर की घटनाएं राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक पाई गईं। मिज़ोरम में पुरुषों में कैंसर का आजीवन जोखिम 21.1% और महिलाओं में 18.9% पाया गया, जो देश में सर्वाधिक है। क्षेत्र में तंबाकू का अत्यधिक सेवन, विशिष्ट आहार जैसे स्मोक्ड मीट, बहुत मसालेदार भोजन और गर्म पेय, और हेलिकोबैक्टर पायलोरी तथा एचपीवी जैसे संक्रमणों की अधिकता, इस उच्च दर के प्रमुख कारण हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • भारत में 43 जनसंख्या आधारित कैंसर रजिस्ट्रियां हैं, जो 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 10%–18% आबादी को कवर करती हैं।
  • मिज़ोरम में पुरुषों में कैंसर का जोखिम 21.1% और महिलाओं में 18.9% है — जो राष्ट्रीय औसत से लगभग दोगुना है।
  • मौखिक कैंसर पुरुषों में अब सबसे सामान्य कैंसर बन चुका है, तंबाकू सेवन में गिरावट के बावजूद।
  • स्तन और गर्भाशयग्रीवा कैंसर, जो महिलाओं में प्रमुख हैं, का शीघ्र निदान और उपचार संभव होने के कारण इनकी मृत्यु दर अपेक्षाकृत कम है।

निष्कर्ष

यह विश्लेषण दर्शाता है कि भारत को कैंसर से निपटने के लिए एक समग्र रणनीति अपनाने की आवश्यकता है, जिसमें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्क्रीनिंग, व्यापक जागरूकता अभियान, टीकाकरण (जैसे HPV के खिलाफ), और जीवनशैली में बदलाव को शामिल किया जाना चाहिए। विशेष रूप से पूर्वोत्तर जैसे क्षेत्रों में स्वास्थ्य ढांचे को मज़बूत करना, क्षेत्रीय जोखिम कारकों के अनुसार लक्षित हस्तक्षेप करना और स्थानीय समुदायों को शामिल करना अत्यंत आवश्यक है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 30% से 50% कैंसर को जोखिम कारकों से बचाव और वैज्ञानिक साक्ष्यों पर आधारित रोकथाम रणनीतियों के ज़रिए रोका जा सकता है। इसलिए, समय पर निदान और उचित उपचार से न केवल मृत्यु दर कम की जा सकती है, बल्कि कैंसर रोगियों का जीवन भी बचाया जा सकता है।

Originally written on September 2, 2025 and last modified on September 2, 2025.

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