भारत में काली खांसी जैसे संक्रमण में नई बैक्टीरिया प्रजाति की पहचान: PGIMER चंडीगढ़ की रिपोर्ट
चंडीगढ़ स्थित पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (PGIMER) की एक शोध टीम ने उत्तर भारत में काली खांसी (pertussis)-जैसे संक्रमणों में एक नई जीवाणु प्रजाति Bordetella holmesii के बढ़ते मामलों की पहचान की है। यह बैक्टीरिया काली खांसी की नकल करता है, लेकिन परंपरागत रूप से पहचानी जाने वाली प्रजाति Bordetella pertussis से भिन्न है। यह खोज उत्तर भारत में श्वसन रोगों की बदलती प्रवृत्ति को दर्शाती है और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण चेतावनी है।
अध्ययन की प्रमुख खोजें
PGIMER द्वारा प्रकाशित अध्ययन “Emergence of Bordetella holmesii–Associated Pertussis-Like Illness, Northern India, 2019–2023” Emerging Infectious Diseases (CDC, USA) जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसमें 935 संदिग्ध काली खांसी मामलों का विश्लेषण किया गया, जिनमें लगभग 37% संक्रमण Bordetella holmesii के कारण पाए गए — जो कि Bordetella pertussis से अधिक है, जो अब तक प्रमुख कारण माना जाता रहा है।
2023 में सबसे अधिक वृद्धि
2023 में B. holmesii संक्रमणों में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की गई, विशेषकर 5-10 वर्ष के बच्चों में। जहां एक ओर B. pertussis संक्रमण 2015 के बाद 15-20% से घटकर 2-5% पर आ गया है, वहीं B. holmesii के मामलों में निरंतर वृद्धि देखी जा रही है। यह स्पष्ट करता है कि काली खांसी जैसे लक्षणों के पीछे अब नए कारकों की भूमिका अधिक हो रही है।
COVID-19 के बाद फिर उभरता खतरा
COVID-19 महामारी के दौरान काली खांसी के मामलों में अस्थायी गिरावट आई थी, लेकिन अब संक्रमण के आंकड़े फिर तेजी से बढ़ रहे हैं। भारत ने हाल ही में लगभग 1.36 करोड़ मामलों की रिपोर्ट की है, जबकि चीन में भी 2013 से 2019 के बीच प्रति लाख जनसंख्या पर 0.13 से बढ़कर 2.15 की दर हो गई, और 2024 की शुरुआत तक 58,990 मामले दर्ज हुए।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- PGIMER चंडीगढ़ ने Bordetella holmesii के बढ़ते संक्रमणों की पहचान की।
- अध्ययन 2019–2023 के बीच 935 संदिग्ध मामलों पर आधारित है।
- 37% मामले B. holmesii के पाए गए, जबकि B. pertussis घटकर 2-5% पर आ गया।
- अध्ययन CDC USA के जर्नल Emerging Infectious Diseases में प्रकाशित हुआ।
- भारत में हाल ही में काली खांसी के लगभग 1.36 करोड़ मामले दर्ज किए गए।
सहयोग और वैज्ञानिक उपलब्धि
यह शोध PGIMER की डॉ. विकास गौतम की प्रयोगशाला द्वारा शुरू किया गया और CSIR-IMTECH चंडीगढ़ के प्रभु पाटिल के सहयोग से किया गया। इससे पूर्व PGIMER की टीम ने Stenotrophomonas sepilia नामक एक नए जीवाणु की पहचान की थी, जो सेप्सिस का कारण बनता है। यह संस्थान की उभरते संक्रामक रोगों की पहचान में अग्रणी भूमिका को दर्शाता है।