भारत में कछुआ शैल कला

भारत में कछुआ शैल कला

कछुआ शैल कला कभी भारत में काफी लोकप्रिय थी। कछुए के शैल दो प्रकार के कछुओं द्वारा निर्मित होते हैं। आंध्र प्रदेश में विशाखापत्तनम और दमन दीव (गुजरात तट से कुछ ही दूर एक द्वीप) ऐसे दो केंद्र हैं जहां कछुए शैल की कला का विकास हुआ। विशाखापत्तनम में कछुआ शैल में हाथीदांत के साथ सजावटी गहने काफी प्रसिद्ध हैं और देश-विदेश मे उनकी मांग थी। हर साल बड़ी संख्या में कछुओं की मौत के कारण कछुओं के शैल का स्रोत कम होता जा रहा है। गोले की थोड़ी मात्रा भारत के दक्षिणी भाग से प्राप्त होती है। व्युत्पन्न सामग्री का उपयोग झुमके, कंगन, ठोस चूड़ियाँ और हार के उत्पादन के लिए किया जाता है। गहनों के टुकड़ों को चांदी के तार से जोड़ा जाता है जिससे वे सुंदर रूप देते हैं। कानून के अधिनियमन के माध्यम से कछुआ शैल कला अन निषिद्ध है। यद्यपि कछुआ शैल की कला को आभूषण और मूर्तियाँ बनाने के लिए दक्षता और कल्पना की आवश्यकता होती है, लेकिन कला क्षीण होती जा रही है।

Originally written on May 19, 2021 and last modified on May 19, 2021.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *