भारत में इलेक्ट्रिक कारों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए नई नीति, लेकिन टेस्ला ने नहीं दिखाई रुचि

भारत सरकार ने 2 जून 2025 को “इलेक्ट्रिक पैसेंजर कारों के निर्माण को बढ़ावा देने की योजना” (SPMEPCI) की विस्तृत गाइडलाइंस जारी कीं, जिसमें घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए कुछ खास छूटों का प्रावधान किया गया है। लेकिन इस योजना से जहां यूरोपीय और कोरियाई वाहन निर्माता उत्साहित हैं, वहीं अमेरिकी ईवी दिग्गज टेस्ला ने भारत में निर्माण में रुचि नहीं दिखाई है।

SPMEPCI योजना का उद्देश्य और लाभ

सरकार की इस योजना का प्रमुख उद्देश्य भारत को इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण में वैश्विक केंद्र बनाना है। योजना के तहत:

  • कंपनियाँ जो कम से कम ₹4,150 करोड़ का निवेश करती हैं, उन्हें पांच वर्षों के लिए सीमित संख्या में (8,000 यूनिट/वर्ष) ईवी का 15% रियायती आयात शुल्क पर आयात करने की अनुमति होगी।
  • ये वाहन पूरी तरह से निर्मित (CBU) होंगे और $35,000 या उससे अधिक CIF मूल्य के होने चाहिए।
  • अगर कोई कंपनी एक वर्ष में कम यूनिट का आयात करती है, तो शेष यूनिट अगले वर्ष में स्थानांतरित की जा सकती हैं।
  • निवेश की समयसीमा तीन वर्षों की होगी, जिसमें कंपनी को निर्माण शुरू करना होगा और वाहन बाजार में उतारना होगा।

टेस्ला ने नहीं दिखाया विनिर्माण में दिलचस्पी

भारी उद्योग मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने स्पष्ट रूप से कहा कि टेस्ला केवल भारत में शो रूम खोलने में रुचि दिखा रही है, न कि निर्माण संयंत्र लगाने में। टेस्ला ने अब तक इस योजना के तहत कोई बड़ा निवेश प्रस्ताव नहीं दिया है और न ही बाद की बैठक में भाग लिया है। इसका मतलब यह है कि टेस्ला द्वारा भारत में आयातित किसी भी वाहन पर अब भी 70% से 110% तक का भारी आयात शुल्क लगेगा।

भारतीय निर्माताओं के लिए राहत: ब्राउनफील्ड निवेश की अनुमति

2024 की नीति से हटते हुए, सरकार ने इस बार ब्राउनफील्ड निवेश को भी अनुमति दी है। इससे मारुति सुजुकी और टाटा मोटर्स जैसी कंपनियों की चिंताओं को दूर किया गया है। अब नई उत्पादन इकाई स्थापित करने की अनिवार्यता नहीं रही।

आवेदन की पात्रता

  • कम से कम ₹10,000 करोड़ का वैश्विक राजस्व होना चाहिए।
  • तीन वर्षों में 25% घरेलू मूल्यवर्धन (DVA) और पाँच वर्षों में 50% DVA प्राप्त करना अनिवार्य है।
  • अधिकतम सीमा के अनुसार, सरकार कुल ₹6,484 करोड़ तक की सीमा में शुल्क छूट प्रदान करेगी, जो निवेश की गई राशि से अधिक नहीं हो सकती।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • योजना के तहत सालाना अधिकतम 8,000 इलेक्ट्रिक कारें रियायती शुल्क पर आयात की जा सकती हैं।
  • रियायती शुल्क दर 15% होगी, जबकि सामान्य शुल्क दर 70% से 110% तक होती है।
  • न्यूनतम निवेश की राशि ₹4,150 करोड़ और न्यूनतम वाहन मूल्य $35,000 तय की गई है।
  • आवेदन के समय कंपनी का वैश्विक राजस्व ₹10,000 करोड़ या अधिक होना चाहिए।
  • यह योजना भारत को इलेक्ट्रिक वाहनों में विनिर्माण हब बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।

भारत सरकार की इस नई नीति के माध्यम से घरेलू ईवी विनिर्माण को नया बल मिलेगा और विदेशी निवेश को आकर्षित करने की संभावनाएं भी बढ़ेंगी। हालांकि, टेस्ला जैसी कंपनियों की निष्क्रियता यह दर्शाती है कि केवल आयात छूट पर्याप्त नहीं है—स्थानीय निर्माण के लिए व्यापक प्रतिबद्धता और सहयोग की आवश्यकता है। योजना की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि कितनी वैश्विक कंपनियाँ भारत में उत्पादन शुरू करती हैं और स्थानीय रोजगार, तकनीक और नवाचार को कितना लाभ मिलता है।

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