भारत में अब मिनटों में हो सकेगा निपाह वायरस का पता, आईसीएमआर ने विकसित की पोर्टेबल टेस्ट किट

भारत ने निपाह वायरस की पहचान के क्षेत्र में एक बड़ी सफलता हासिल की है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के अंतर्गत पुणे स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) ने एक नई पोर्टेबल ‘पॉइंट-ऑफ-केयर’ टेस्ट किट विकसित की है, जिससे बिना लैब सेटिंग के भी कुछ ही मिनटों में निपाह वायरस की जांच संभव हो सकेगी। यह किट विशेष रूप से केरल और पश्चिम बंगाल जैसे उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में तैनात की जाएगी।
पोर्टेबल टेस्ट किट: तेज, सटीक और कहीं भी उपयोगी
एनआईवी के निदेशक नवीन कुमार के अनुसार, यह किट LAMP तकनीक पर आधारित है जो तेज और विश्वसनीय परिणाम देती है। इस किट को पेटेंट भी मिल चुका है और इसे लैब की आवश्यकता के बिना उपयोग में लाया जा सकता है। इससे न केवल जांच प्रक्रिया सरल होगी, बल्कि संक्रमण को फैलने से रोकने के प्रयास भी अधिक प्रभावी हो सकेंगे।
निपाह वायरस: जानलेवा संक्रमण
निपाह वायरस एक जूनोटिक वायरस है, जो मुख्यतः फल चमगादड़ों से फैलता है। यह संक्रमित भोजन, जानवरों के संपर्क या संक्रमित व्यक्ति के शारीरिक स्राव से फैल सकता है। इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति को शुरुआत में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, और गले में खराश होती है, जो आगे चलकर मस्तिष्क ज्वर और मृत्यु तक भी पहुंच सकती है। इसकी मृत्यु दर 40% से 75% तक पाई गई है, जो इसे अत्यंत घातक बनाती है।
भारत में निपाह संक्रमण का इतिहास
भारत में निपाह वायरस का पहला मामला 2001 में पश्चिम बंगाल में सामने आया था, जहाँ मृत्यु दर 74% थी। 2007 में इसी राज्य में दूसरी बार प्रकोप हुआ, जिसमें सभी मरीजों की मृत्यु हो गई। 2018 में केरल में तीसरा बड़ा प्रकोप हुआ, जिसमें 16 लोगों की जान गई। अब तक केरल में निपाह से कुल 19 लोगों की मौत हो चुकी है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- निपाह वायरस का प्राकृतिक वाहक पेरोपस प्रजाति के फल चमगादड़ हैं।
- भारत में अब तक पाए गए निपाह वायरस के नमूने ‘Genotype B’ प्रकार के हैं, जो भारत और बांग्लादेश में आम हैं।
- एनआईवी पुणे ही एकमात्र संस्थान है जहाँ निपाह वायरस की कल्चरिंग, जीनोमिक विश्लेषण, वैक्सीन विकास और दवा परीक्षण संभव है।
- 1998 से 2018 के बीच भारत, मलेशिया और बांग्लादेश में 700 से अधिक निपाह के मामले दर्ज किए गए।
रोकथाम और भविष्य की दिशा
वर्तमान में निपाह वायरस के लिए कोई प्रमाणित दवा या टीका उपलब्ध नहीं है। हालांकि, डब्ल्यूएचओ ने इसे अपनी प्राथमिकता वाली बीमारियों में शामिल किया है और भारत में भी NIV वैक्सीन विकसित करने पर काम कर रहा है। संक्रमित जानवरों से संपर्क से बचना, चमगादड़ से दूषित फलों का सेवन न करना, और संक्रमित व्यक्तियों से दूरी बनाए रखना इसके प्रसार को रोकने के मुख्य उपाय हैं।
भारत की यह नई पोर्टेबल टेस्ट किट न केवल समय पर जांच को संभव बनाएगी, बल्कि स्वास्थ्य कर्मियों और आम जनता को भी संक्रमण के खतरे से सुरक्षित रखने में सहायक होगी। इस नवाचार से निपाह जैसी खतरनाक बीमारी पर नियंत्रण पाने की दिशा में एक मजबूत कदम साबित होगा।