भारत में अनुसंधान के लिए खरीद नीति में सुधार: नवाचार का उत्प्रेरक बनती सरकारी प्रक्रिया

भारत सरकार द्वारा हाल ही में जनरल फाइनेंशियल रूल्स (GFR) में किए गए संशोधन — जैसे Government e-Marketplace (GeM) से विशिष्ट R&D उपकरणों को छूट देना और सीधे खरीद की सीमा को ₹1 लाख से ₹2 लाख तक बढ़ाना — विज्ञान और नवाचार को बाधित करने वाली नौकरशाही रुकावटों को दूर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।

शोध बनाम पारदर्शिता: नीति का द्वंद

सरकारी खरीद नीतियाँ सामान्यतः लागत नियंत्रण और पारदर्शिता को प्राथमिकता देती हैं। परंतु R&D में यह दृष्टिकोण अक्सर उपकरणों की गुणवत्ता, समयबद्धता और नवाचार की आवश्यकताओं से टकराता है। GeM जैसे पोर्टल्स पर सामान्यीकृत विक्रेता, उच्च-विशिष्टता वाले वैज्ञानिक उपकरण प्रदान करने में असमर्थ रहते हैं — जिससे शोधकर्ताओं को विकल्प की स्वतंत्रता नहीं मिलती

GFR सुधार: क्या बदला?

  • ₹2 लाख तक की सीधी खरीद को मंजूरी
  • ₹200 करोड़ तक की वैश्विक टेंडर प्रक्रिया का अधिकार संस्थागत प्रमुखों को
  • GeM से विशेषीकृत उपकरणों की छूट
  • खरीद प्रक्रिया में स्थानीय विवेक और लचीलापन

ये बदलाव नवाचार-अनुकूल हैं और वैश्विक मानकों के साथ भारतीय R&D को जोड़ने में सहायक होंगे।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • अमेरिका में SBIR कार्यक्रम संघीय R&D बजट का 3% स्टार्टअप्स को चरणबद्ध खरीद अनुबंधों के माध्यम से देता है।
  • जर्मनी की High-Tech Strategy सार्वजनिक खरीद को नवाचार का माध्यम मानती है।
  • दक्षिण कोरिया की Pre-Commercial Procurement System ‘मूनशॉट’ परियोजनाओं के लिए प्रोटोटाइप पर प्रीमियम मूल्य देती है।
  • Pfizer की COVID-19 वैक्सीन उत्पादन प्रक्रिया में AI आधारित खरीद रणनीति ने समय बचाया और आपूर्ति सुनिश्चित की।

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