भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर (IMEC): प्रगति, चुनौतियां और भविष्य

भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर (IMEC), जिसे 2023 में नई दिल्ली में हुए G20 शिखर सम्मेलन में घोषित किया गया था, एशिया, अरब खाड़ी और यूरोप के बीच कनेक्टिविटी और आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखता है। हाल ही में, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय ने अमेरिका, यूएई, सऊदी अरब, फ्रांस, इटली, जर्मनी, इज़रायल, जॉर्डन और यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों के साथ इसकी प्रगति पर चर्चा की।

कॉरिडोर की संरचना

IMEC दो मुख्य हिस्सों में बंटा है —

    1. इंडिया-गल्फ कॉरिडोर: भारत के पश्चिमी बंदरगाहों से यूएई तक कंटेनर यातायात, फिर हाई-स्पीड फ्रेट रेलवे से सऊदी अरब, जॉर्डन होते हुए इज़रायल के हाइफ़ा बंदरगाह तक।
    2. गल्फ-यूरोप कॉरिडोर: हाइफ़ा से ग्रीस और इटली के बंदरगाहों तक समुद्री मार्ग, फिर यूरोप के ट्रेन नेटवर्क के जरिए पूरे महाद्वीप में माल की आपूर्ति।

इससे भारत से यूरोप तक माल भेजने में रेड सी रूट की तुलना में लगभग 40% समय की बचत होगी।

महत्वाकांक्षाएं

  • व्यापार के साथ-साथ बिजली व डिजिटल कनेक्टिविटी के लिए केबल, क्लीन हाइड्रोजन एक्सपोर्ट के लिए पाइपलाइन
  • व्यापार लागत और समय में कमी, पर्यावरणीय प्रभाव घटाना
  • क्षेत्रीय आर्थिक एकता और रोजगार सृजन

शुरुआती अनुकूल माहौल

2023 में मध्य पूर्व में असाधारण स्थिरता, अरब-इज़रायल संबंधों में सामान्यीकरण, और सऊदी-इज़रायल नज़दीकी ने इस योजना को संभव बनाया। उस समय भारत और अरब देशों के बीच गैर-तेल व्यापार और यूरोपीय संघ के साथ व्यापार में वृद्धि हो रही थी।

बदलते हालात और नई चुनौतियां

  • गाज़ा युद्ध (61,000+ मौतें) ने जॉर्डन-इज़रायल संबंध बिगाड़े, सऊदी-इज़रायल सामान्यीकरण की संभावना घटाई।
  • इज़रायल की गाज़ा पर पुनः कब्ज़े की योजना और बढ़ते क्षेत्रीय तनाव ने बीमा प्रीमियम और सुरक्षा लागत बढ़ाई।
  • सऊदी-यूएई के बीच आर्थिक प्रतिस्पर्धा (जैसे 2021 में सऊदी के नए टैरिफ) एक साझा विज़न में बाधा हैं।

भारत के लिए संभावनाएं

  • भारत-यूएई और भारत-सऊदी अरब के मजबूत रणनीतिक व आर्थिक साझेदारी पूर्वी हिस्से की प्रगति संभव बनाती हैं।
  • UPI आधारित भुगतान सुविधा जैसी डिजिटल कनेक्टिविटी में प्रगति।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • IMEC की घोषणा सितंबर 2023, G20 शिखर सम्मेलन, नई दिल्ली में हुई।
  • यह I2U2 ग्रुपिंग (भारत, इज़रायल, यूएई, अमेरिका) की अवधारणा से प्रेरित है।
  • 2024-25 में हौथी हमलों ने रेड सी शिपिंग को जोखिमपूर्ण बनाया, जिससे IMEC की आवश्यकता और स्पष्ट हुई।

भविष्य

IMEC का पश्चिमी हिस्सा वर्तमान में असंभव दिखता है, लेकिन पूर्वी हिस्से में काम जारी रह सकता है।दीर्घकालीन सफलता के लिए मध्य पूर्व में स्थिरता और फ़िलिस्तीनी मुद्दे का समाधान अनिवार्य है। वर्तमान स्थिति में, यह एक “डे-आफ़्टर” योजना है, जो संघर्ष समाधान के बाद ही पूरी तरह लागू हो सकेगी।

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