भारत-ब्राजील रक्षा साझेदारी में नई पहल: स्कॉर्पीन पनडुब्बी रख-रखाव हेतु त्रिपक्षीय समझौता
भारत और ब्राज़ील ने समुद्री रक्षा सहयोग को सशक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते में भारतीय नौसेना, ब्राज़ीलियाई नौसेना और मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) शामिल हैं। यह समझौता दोनों देशों की स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों के दीर्घकालिक रखरखाव और रणनीतिक सहयोग को लेकर किया गया है।
समझौते का उद्देश्य और दायरा
यह MoU स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों के रखरखाव, लॉजिस्टिक्स, प्रशिक्षण और संचालन तत्परता को लेकर सुव्यवस्थित सूचनाओं के आदान-प्रदान और संयुक्त समर्थन की संरचना प्रदान करता है। चूंकि भारत और ब्राज़ील दोनों स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों का संचालन करते हैं, इसलिए इस साझेदारी के माध्यम से इनके संपूर्ण जीवनचक्र प्रबंधन में सामरिक सहयोग अत्यंत उपयोगी होगा।
यह समझौता नियमित सेवाओं से लेकर जटिल प्रणाली उन्नयन तक के कार्यों को सरल और कुशल बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा।
सामरिक पृष्ठभूमि और नौसेना सहयोग
यह समझौता भारत के नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी की ब्राज़ील यात्रा के दौरान संपन्न हुआ। यह दोनों देशों द्वारा समुद्री रक्षा संबंधों को विस्तार देने की संयुक्त रणनीति का हिस्सा है।
इस वर्ष पहले ही एक दीर्घकालिक रोडमैप तैयार किया गया था, जिसमें संयुक्त अभ्यास, सूचना साझाकरण और रक्षा संस्थानों के बीच मजबूत सहयोग को प्राथमिकता दी गई थी।
रक्षा उद्योग और अनुसंधान के लिए लाभ
भारत की पनडुब्बी निर्माण विशेषज्ञता, विशेषकर मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) के माध्यम से, और ब्राज़ील की संचालन-आधारित दक्षता मिलकर पनडुब्बी रखरखाव समाधानों के सह-विकास को प्रोत्साहित करेंगी।
इस सहयोग से लागत में कुशलता, नौसैनिक संसाधनों की बेहतर उपलब्धता और पनडुब्बी युद्ध प्रणालियों पर गहन अनुसंधान की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- त्रिपक्षीय समझौता भारतीय नौसेना, ब्राज़ीलियाई नौसेना और मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) के बीच संपन्न हुआ है।
- यह सहयोग स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों के रखरखाव और जीवनचक्र समर्थन पर केंद्रित है।
- समझौता लॉजिस्टिक्स, प्रशिक्षण और तकनीकी जानकारी के आदान-प्रदान को मजबूत करता है।
- यह भारत और ब्राज़ील के समुद्री और रक्षा सहयोग के व्यापक उद्देश्यों के अनुरूप है।
आगे की दिशा
अब दोनों देशों की तकनीकी टीमें प्रशिक्षण मॉड्यूल, मेंटेनेंस शेड्यूल और संयुक्त समर्थन ढांचे जैसे विस्तृत कार्य-प्रोटोकॉल को अंतिम रूप देंगी। इस समझौते से दोनों नौसेनाओं के बीच संचालनात्मक समन्वय गहरा होगा और समुद्री क्षेत्र में उनकी सामरिक उपस्थिति और भी सशक्त होगी।
यह पहल भारत की वैश्विक रक्षा साझेदारियों को नई ऊंचाई पर ले जाने और घरेलू रक्षा उद्योग को नवाचार आधारित विकास की दिशा में आगे बढ़ाने का संकेत है।