भारत-नॉर्वे साझेदारी: भारत का पहला स्वदेशी पोलर रिसर्च वेसल निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

भारत ने समुद्री अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। 2 जून 2025 को, भारत के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (GRSE) और नॉर्वे की कोनग्सबर्ग कंपनी के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर हुए, जिससे भारत का पहला स्वदेशी पोलर रिसर्च वेसल (PRV) निर्माण की दिशा में मार्ग प्रशस्त हुआ।

MoU का महत्व और उद्देश्य

यह समझौता भारत की वैज्ञानिक क्षमताओं को सुदृढ़ करने और ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया है। केंद्रीय पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने इस अवसर पर कहा, “यह समझौता न केवल एक जहाज के निर्माण का संकेत है, बल्कि नवाचार, अन्वेषण और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की एक विरासत का निर्माण है।”

पोलर रिसर्च वेसल की विशेषताएं

  • निर्माण स्थल: यह वेसल कोलकाता स्थित GRSE के शिपयार्ड में निर्मित किया जाएगा।
  • उपयोगकर्ता संस्था: राष्ट्रीय ध्रुवीय और समुद्री अनुसंधान केंद्र (NCPOR) इसका उपयोग करेगा।
  • उद्देश्य: आर्कटिक और अंटार्कटिक क्षेत्रों में समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का अध्ययन, जलवायु परिवर्तन पर शोध, और महासागरों की गहराई में अन्वेषण।
  • तकनीकी सहयोग: नॉर्वे की कोनग्सबर्ग कंपनी डिज़ाइन विशेषज्ञता प्रदान करेगी।

MAHASAGAR दृष्टिकोण और वैश्विक सहयोग

श्री सोनोवाल ने नॉर्वे में ‘शिपिंग एंड ओशन बिजनेस’ पर आयोजित मंत्री स्तरीय बैठक में भारत की MAHASAGAR (Mutual and Holistic Advancement for Security Across the Region) दृष्टिकोण को पुनः पुष्टि की। यह दृष्टिकोण भारत की समुद्री शक्ति, रणनीतिक स्थिति और समुद्री विरासत का उपयोग करके आर्थिक समृद्धि, क्षेत्रीय सुरक्षा और सतत विकास को सुनिश्चित करने का प्रयास करता है।

नॉर्वेजियन शिपओनर्स एसोसिएशन के साथ बैठक

श्री सोनोवाल ने नॉर्वेजियन शिपओनर्स एसोसिएशन (NSA) के साथ एक गोलमेज बैठक में भाग लिया, जहां उन्होंने भारतीय समुद्री क्षेत्र में निवेश के अवसरों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि भारतीय शिपयार्ड्स वर्तमान में NSA के ऑर्डर बुक का 11% हिस्सा रखते हैं, और इस साझेदारी को और गहरा करने का आह्वान किया।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • GRSE: गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड, कोलकाता स्थित एक प्रमुख शिपबिल्डिंग कंपनी है, जो भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल के लिए जहाजों का निर्माण करती है।
  • NCPOR: राष्ट्रीय ध्रुवीय और समुद्री अनुसंधान केंद्र, भारत सरकार का एक प्रमुख संस्थान है, जो ध्रुवीय क्षेत्रों में अनुसंधान करता है।
  • कोनग्सबर्ग: नॉर्वे की एक प्रमुख समुद्री प्रौद्योगिकी कंपनी है, जो जहाजों के डिज़ाइन और निर्माण में विशेषज्ञता रखती है।
  • MAHASAGAR: भारत सरकार की एक पहल है, जिसका उद्देश्य समुद्री सुरक्षा और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना है।

भारत का यह कदम न केवल वैज्ञानिक अनुसंधान को सुदृढ़ करेगा, बल्कि वैश्विक समुद्री सहयोग में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह परियोजना भारत को समुद्री अनुसंधान के क्षेत्र में एक अग्रणी राष्ट्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

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