भारत ने 2025 में खाद्यान्न उत्पादन का ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि भारत ने 2025 में 357 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन कर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। “मन की बात” के 128वें एपिसोड में उन्होंने बताया कि यह पिछले एक दशक में 100 मिलियन टन की वृद्धि को दर्शाता है, जो देश की कृषि आत्मनिर्भरता और खाद्य सुरक्षा में उल्लेखनीय प्रगति का प्रतीक है। इस उपलब्धि का श्रेय बेहतर खेती के तौर-तरीकों, तकनीकी अपनाने और नीतिगत सहयोग को दिया गया है।
प्राकृतिक खेती का विस्तार और युवाओं की भागीदारी
प्रधानमंत्री ने कोयंबटूर में आयोजित “नेचुरल फार्मिंग एग्ज़िबिशन” और “साउथ इंडिया नेचुरल फार्मिंग समिट” में अपनी भागीदारी का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती के प्रति युवाओं और पेशेवरों में तेजी से बढ़ती रुचि भारत की पारंपरिक कृषि ज्ञान प्रणाली में नए विश्वास का प्रतीक है। यह आयोजन रासायन-मुक्त कृषि को बढ़ावा देने के लिए किसानों, विशेषज्ञों और नवाचारकर्ताओं को एक मंच पर लाने का प्रयास था।
कोयंबटूर शिखर सम्मेलन की प्रमुख झलकियाँ
19 से 21 नवंबर 2025 तक आयोजित इस सम्मेलन का उद्देश्य सतत और पुनर्योजी खेती के मॉडल को बढ़ावा देना था। प्रदर्शनी में जैविक इनपुट्स, स्वदेशी तकनीकें, एग्रो-प्रोसेसिंग समाधान और पर्यावरण-अनुकूल पैकेजिंग को प्रदर्शित किया गया। प्रधानमंत्री ने किसानों से संवाद किया, फसल की विभिन्न किस्मों का निरीक्षण किया और पौधों की वृद्धि तथा मिट्टी की सेहत पर आधारित प्रदर्शन देखे। यह आयोजन न केवल तकनीकी नवाचार का प्रतीक था, बल्कि भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को टिकाऊ दिशा देने की पहल भी थी।
नीतिगत सहयोग और किसान कल्याण
प्रधानमंत्री ने पीएम-किसान सम्मान निधि की 21वीं किस्त जारी किए जाने का भी उल्लेख किया, जो किसानों को प्रत्यक्ष आर्थिक सहायता प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकता जलवायु-संवेदनशील कृषि, उत्पादकता में वृद्धि और बाजार तक बेहतर पहुंच सुनिश्चित करना है। किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) को सशक्त करना और ग्रामीण उद्यमिता को प्रोत्साहित करना कोयंबटूर सम्मेलन का प्रमुख विषय रहा।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- भारत ने 2025 में 357 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन का रिकॉर्ड बनाया।
- पिछले 10 वर्षों में उत्पादन में 100 मिलियन टन की वृद्धि हुई है।
- पीएम मोदी ने कोयंबटूर में “नेचुरल फार्मिंग एग्ज़िबिशन” और “साउथ इंडिया नेचुरल फार्मिंग समिट” का उद्घाटन किया।
- सम्मेलन का फोकस पुनर्योजी कृषि, जैविक नवाचार और बाजार संपर्क पर था।
टिकाऊ कृषि की दिशा में भारत
प्रधानमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक और पुनर्योजी कृषि पद्धतियाँ भारत के कृषि भविष्य की आधारशिला बनेंगी। युवाओं की बढ़ती भागीदारी, सशक्त किसान नेटवर्क और विस्तृत बाजार अवसरों के साथ भारत एक जलवायु-सहिष्णु और आर्थिक रूप से सशक्त टिकाऊ कृषि मॉडल की ओर बढ़ रहा है। यह उपलब्धि न केवल उत्पादन के आँकड़ों में वृद्धि है, बल्कि आत्मनिर्भर और पर्यावरण-संतुलित भारत की दिशा में एक ठोस कदम भी है।