भारत ने सैटेलाइट-सक्षम हेरोन Mk II ड्रोन के लिए नए आदेश दिए

भारत ने सैटेलाइट-सक्षम हेरोन Mk II ड्रोन के लिए नए आदेश दिए

भारत ने अपनी निगरानी और टोही क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया है। रक्षा मंत्रालय ने सैटेलाइट-लिंक्ड हेरोन Mk II ड्रोन के लिए नए आदेश दिए हैं। यह निर्णय हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर के अनुभवों के बाद लिया गया है, जिसने आधुनिक युद्ध में मानवरहित हवाई प्रणालियों (UAVs) की बढ़ती भूमिका को रेखांकित किया।

सेना, वायुसेना और नौसेना में हेरोन Mk II का विस्तार

इजरायली रक्षा क्षेत्र से मिली जानकारी के अनुसार, भारतीय सेना और वायुसेना, जो पहले से हेरोन Mk II ड्रोन का उपयोग कर रही हैं, ने अतिरिक्त इकाइयों के लिए ऑर्डर दिया है। वहीं भारतीय नौसेना, जो अब तक पुराने सर्चर UAVs पर निर्भर थी, पहली बार इस आधुनिक ड्रोन को शामिल कर रही है। यह समुद्री निगरानी में तकनीकी उन्नयन का बड़ा संकेत है और तीनों सेनाओं के बीच संयुक्त संचालन क्षमता को और मजबूत करेगा।

आपातकालीन खरीद और आधुनिक युद्ध में ड्रोन की भूमिका

आपातकालीन खरीद नियमों के तहत सशस्त्र बल ₹300 करोड़ तक के उपकरण तत्काल संचालनात्मक आवश्यकताओं के लिए खरीद सकते हैं। इजरायली रक्षा उद्योग के अनुसार, आज के युद्धक्षेत्र में लगभग 70% ऑपरेशन ड्रोन आधारित हो चुके हैं चाहे वह अग्रिम मोर्चे की टोही हो या गहरे क्षेत्रों में प्रवेश कर लक्ष्य को निष्क्रिय करना। ड्रोन अब ऐसे साधन बन गए हैं जो शत्रु की वायु रक्षा प्रणाली में सेंध लगाकर उच्च-मूल्य वाले लक्ष्यों को निशाना बना सकते हैं।

हेरोन Mk II की तकनीकी विशेषताएँ

हेरोन Mk II एक मीडियम-ऑल्टीट्यूड, लॉन्ग-एंड्यूरेंस (MALE) श्रेणी का UAV है जो 24 घंटे से अधिक उड़ान भर सकता है और लगभग 500 किलोग्राम का मिशन पेलोड ले जाने में सक्षम है। इसमें सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR), इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सेंसर, और सिग्नल इंटेलिजेंस (SIGINT) जैसी उन्नत प्रणालियाँ लगी हैं, जो दिन-रात और प्रतिकूल मौसम में भी निगरानी सुनिश्चित करती हैं। इसकी सैटेलाइट कम्युनिकेशन लिंक इसे रिमोट लोकेशन से नियंत्रित करने की सुविधा देती है, जिससे यह लाइन-ऑफ-साइट सीमाओं से मुक्त होकर कार्य कर सकता है।

देशीकरण और भविष्य की योजनाएँ

भारत की “मेक इन इंडिया” नीति के तहत, इजरायली कंपनियाँ अब भारतीय रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों और निजी उद्योगों के साथ मिलकर ड्रोन के प्रशिक्षण, रखरखाव और एकीकरण सुविधाओं को देश में ही विकसित कर रही हैं। रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में 87 MALE ड्रोन की खरीद के लिए प्रस्ताव जारी किया है, जिसमें विदेशी साझेदारी के साथ घरेलू निर्माण को प्रोत्साहित किया जाएगा। यह भारत की आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन नीति को गति देने वाला कदम माना जा रहा है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • हेरोन Mk II एक MALE श्रेणी का UAV है जिसकी उड़ान क्षमता 24 घंटे से अधिक है।
  • इसका पेलोड लगभग 500 किलोग्राम है।
  • इसमें SAR, EO सेंसर, SIGINT और सैटेलाइट कम्युनिकेशन सुविधाएँ हैं।
  • भारत ने “मेक इन इंडिया” योजना के तहत 87 MALE ड्रोन की खरीद प्रक्रिया शुरू की है।

भारत द्वारा हेरोन Mk II के नए आदेश न केवल उसकी निगरानी क्षमताओं को सुदृढ़ करेंगे, बल्कि आत्मनिर्भर रक्षा निर्माण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होंगे। यह कदम भविष्य के नेटवर्क-केंद्रित युद्ध परिदृश्यों में भारत की स्थिति को और अधिक सशक्त करेगा।

Originally written on December 3, 2025 and last modified on December 3, 2025.

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