भारत ने संयुक्त राष्ट्र में ‘न्यूयॉर्क घोषणा’ के पक्ष में मतदान किया: फिलिस्तीन मुद्दे पर दो-राष्ट्र समाधान को वैश्विक समर्थन

संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में शुक्रवार को भारत ने फिलिस्तीन मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान और दो-राष्ट्र सिद्धांत के कार्यान्वयन का समर्थन करते हुए ‘न्यूयॉर्क घोषणा’ के पक्ष में मतदान किया। यह घोषणा इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष को समाप्त करने और गाज़ा में युद्धविराम लाने के लिए वैश्विक प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
भारी बहुमत से प्रस्ताव पारित
- प्रस्ताव के पक्ष में: 142 देश
- विरोध में: 10 देश (जैसे: इज़रायल, अमेरिका, अर्जेंटीना, हंगरी)
- मतदान से विरत: 12 देश
इस प्रस्ताव को फ्रांस द्वारा प्रस्तुत किया गया था और जुलाई में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में फ्रांस और सऊदी अरब द्वारा सह-अध्यक्षता में आयोजित उच्च-स्तरीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान ‘न्यूयॉर्क घोषणा’ के रूप में प्रसारित किया गया था।
भारत का रुख: ऐतिहासिक स्थिरता और कूटनीतिक स्पष्टता
भारत ने लंबे समय से फिलिस्तीन के आत्म-निर्णय के अधिकार और दो-राष्ट्र समाधान का समर्थन किया है। इस मतदान के माध्यम से भारत ने:
- फिलिस्तीनी जनता के राजनीतिक अधिकारों का समर्थन दोहराया
- शांति और संवाद आधारित समाधान पर बल दिया
- क्षेत्रीय स्थिरता और न्यायपूर्ण समाधान की दिशा में वैश्विक एकता के साथ कदम मिलाया
न्यूयॉर्क घोषणा: मुख्य बिंदु
- गाज़ा में युद्ध का तत्काल अंत और हिंसा को समाप्त करना
- फिलिस्तीनी क्षेत्रों में बस्तियों का निर्माण, भूमि हथियाना और अतिक्रमण तत्काल रोकना
- इज़रायल द्वारा किसी भी प्रकार की अधिकृत परियोजनाओं या नीति का सार्वजनिक रूप से खंडन
- पूर्वी यरुशलम सहित कब्जे वाले क्षेत्रों में दमन और उकसावे की कार्यवाहियों को समाप्त करना
- फिलिस्तीन को एक संप्रभु, अविभाज्य और स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में स्थापित करना, जिसमें गाज़ा भी शामिल हो
- अंतरराष्ट्रीय गारंटी और सुरक्षा उपायों को सशक्त बनाना ताकि शांति प्रक्रिया को मजबूती मिल सके
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- न्यूयॉर्क घोषणा जुलाई 2025 में UN सम्मेलन में जारी हुई थी
- भारत लंबे समय से दो-राष्ट्र सिद्धांत का समर्थक रहा है
- संयुक्त राष्ट्र महासभा में यह वोट गाज़ा संकट के संदर्भ में आया है, जिसमें लगातार बढ़ रही हिंसा और मानवीय संकट पर वैश्विक चिंता है
- भारत उन 142 देशों में शामिल है जिन्होंने फिलिस्तीन को आत्मनिर्णय और राज्य की मान्यता देने की दिशा में समर्थन जताया