भारत ने लॉन्च किया राष्ट्रीय CCUS अनुसंधान रोडमैप: 2070 नेट-ज़ीरो लक्ष्य की दिशा में बड़ा कदम
भारत सरकार ने 2070 तक नेट-ज़ीरो उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण पहल करते हुए कार्बन कैप्चर, यूटिलाइजेशन एंड स्टोरेज (CCUS) तकनीकों के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास (R&D) रोडमैप की शुरुआत की है। यह पहल उच्च उत्सर्जन वाले औद्योगिक क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करने हेतु एक समन्वित रणनीति प्रस्तुत करती है।
कठिन-से-नियंत्रण क्षेत्रों पर विशेष फोकस
यह रोडमैप विशेष रूप से सीमेंट, बिजली और स्टील जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित है, जहां पारंपरिक तरीकों से कार्बन उत्सर्जन में कमी लाना चुनौतीपूर्ण होता है। CCUS तकनीकें इन क्षेत्रों में उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड को पकड़कर उसका उपयोग या सुरक्षित भंडारण करने की संभावना प्रदान करती हैं। यह रणनीति ऐसे समाधानों को विकसित करने पर बल देती है जो बड़े पैमाने पर अपनाए जा सकें।
सरकारी वित्तपोषण और संस्थागत सहयोग
प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार अजय कुमार सूद द्वारा लॉन्च की गई इस पहल को सरकार के ₹1 लाख करोड़ के अनुसंधान, विकास और नवाचार (RDI) फंडिंग पथों से समर्थन मिलेगा। इसका उद्देश्य CCUS तकनीकों में नवाचार की गति को तेज़ करना और उनके व्यावसायिक उपयोग की समय-सीमा को कम करना है।
इससे पहले 2025 की शुरुआत में सरकार ने सीमेंट क्षेत्र में पांच CCU टेस्टबेड भी स्थापित किए थे, जिससे औद्योगिक डीकार्बोनाइजेशन हेतु एक शोध क्लस्टर बनाया जा सके।
CCUS तकनीक कैसे काम करती है?
CCUS एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड को स्रोत से अलग किया जाता है, उसे संपीड़ित कर परिवहन किया जाता है और फिर भू-गर्भीय संरचनाओं में स्थायी रूप से संग्रहित किया जाता है। इसके अलावा, पकड़े गए CO₂ का उपयोग औद्योगिक उत्पादों के कच्चे माल के रूप में भी किया जा सकता है। हालांकि विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि यदि इन तकनीकों का सही ढंग से उपयोग न हो, तो यह जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को बढ़ा सकती हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- भारत ने 2025 में अपना पहला राष्ट्रीय CCUS अनुसंधान रोडमैप शुरू किया।
- यह पहल 2070 के नेट-ज़ीरो लक्ष्य का समर्थन करती है।
- ₹1 लाख करोड़ RDI फंडिंग CCUS तकनीकों में निवेश हेतु उपलब्ध कराई जाएगी।
- सीमेंट क्षेत्र में पहले ही 5 CCU टेस्टबेड स्थापित किए जा चुके हैं।
क्षमता निर्माण और आधारभूत ढांचे पर बल
रोडमैप का एक प्रमुख उद्देश्य CCUS से जुड़े प्रतिभावान मानव संसाधन, नियामक मानकों और साझा अवसंरचना का विकास करना है, ताकि यह तकनीक बड़े पैमाने पर अपनाई जा सके। अमेरिका, यूरोपीय संघ और चीन जैसे देश पहले से ही इस क्षेत्र में सक्रिय हैं, ऐसे में भारत की समन्वित रणनीति इसे वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सशक्त बनाएगी और एक निम्न-कार्बन भविष्य की ओर मार्ग प्रशस्त करेगी।