भारत ने रोकी सिंधु जल संधि विवादों पर सुनवाई, पाकिस्तान का विरोध

भारत ने रोकी सिंधु जल संधि विवादों पर सुनवाई, पाकिस्तान का विरोध

भारत ने विश्व बैंक द्वारा नियुक्त तटस्थ विशेषज्ञ मिशेल लिनो से रटले और किशनगंगा जलविद्युत परियोजनाओं से संबंधित विवादों पर सुनवाई रोकने का अनुरोध किया है। यह कदम केंद्र सरकार द्वारा सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty – IWT) को अस्थायी रूप से स्थगित करने के फैसले के बाद उठाया गया है। मिशेल लिनो, जो एक फ्रांसीसी बांध विशेषज्ञ हैं, को अक्टूबर 2022 में विश्व बैंक ने इस विवाद को सुलझाने के लिए नियुक्त किया था।

भारत का रुख और पाकिस्तान की प्रतिक्रिया

भारत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जब तक पाकिस्तान “सीमापार आतंकवाद” का समर्थन “विश्वसनीय और अपूरणीय रूप से” त्याग नहीं देता, तब तक IWT पर कार्य स्थगित रहेगा। इसके तहत, भारत ने लिनो से आग्रह किया कि वह 2025 के लिए पूर्वनिर्धारित कार्य योजना को रद्द करें। इस कार्य योजना के अनुसार पाकिस्तान को 7 अगस्त तक अपनी प्रतिक्रिया सौंपनी थी और नवंबर में दोनों देशों के साथ चौथी बैठक प्रस्तावित थी।
पाकिस्तान ने भारत के इस कदम का विरोध करते हुए तटस्थ विशेषज्ञ को सूचित किया कि वह सुनवाई को स्थगित करने के पक्ष में नहीं है।

किशनगंगा और रटले परियोजनाओं का विवाद

ये दोनों परियोजनाएं जम्मू-कश्मीर में स्थित हैं — किशनगंगा नदी पर किशनगंगा परियोजना और चिनाब नदी पर रटले परियोजना। पाकिस्तान का आरोप है कि इन परियोजनाओं के डिज़ाइन सिंधु जल संधि का उल्लंघन करते हैं, विशेष रूप से न्यूनतम जल प्रवाह के नियमों को लेकर।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • सिंधु जल संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई थी।
  • इस संधि के तहत तीन पूर्वी नदियों (सतलुज, ब्यास और रावी) का जल भारत के लिए आरक्षित है, जबकि तीन पश्चिमी नदियाँ (सिंधु, झेलम और चिनाब) पाकिस्तान के लिए आरक्षित हैं।
  • ‘तटस्थ विशेषज्ञ’ संधि के अंतर्गत एक तकनीकी मध्यस्थ होता है जो दो देशों के बीच मतभेद सुलझाता है, न कि कानूनी निर्णय देता है।
  • भारत ने हाल ही में चिनाब की बगलीहार और सलाल परियोजनाओं में “फ्लशिंग” शुरू की है, जो पाकिस्तान द्वारा पूर्व में रोकी जाती रही है।

भारत की रणनीति और भविष्य की दिशा

भारत ने पाकिस्तान को 24 अप्रैल को औपचारिक पत्र के माध्यम से संधि को स्थगित करने की सूचना दी थी। इसके जवाब में पाकिस्तान ने संवाद की पेशकश की थी, लेकिन भारत ने इस पर अब तक प्रतिक्रिया नहीं दी है। सूत्रों के अनुसार, भारत फिलहाल पाकिस्तान के साथ किसी भी प्रकार की चर्चा को लेकर इच्छुक नहीं है।
इसके साथ ही, भारत सिंधु प्रणाली की नदियों से पानी को देश के विभिन्न राज्यों की ओर मोड़ने के लिए एक नहर निर्माण योजना पर काम कर रहा है। केंद्र सरकार ने चिनाब नदी पर स्थित चार जलविद्युत परियोजनाओं को भी गति देने का निर्णय लिया है।
भारत का यह कदम न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के परिप्रेक्ष्य में महत्त्वपूर्ण है, बल्कि जल संसाधनों के उपयोग के अधिकार को लेकर भी एक निर्णायक मोड़ दर्शाता है। यह मामला आने वाले समय में दोनों देशों के जल संबंधों पर गहरा असर डाल सकता है।

Originally written on June 25, 2025 and last modified on June 25, 2025.

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