भारत ने पश्चिमी सीमांत पर शुरू किया ‘त्रिशूल 2025’ त्रि‑सेवा युद्धाभ्यास
भारत ने हाल ही में पश्चिमी सीमांत, विशेष रूप से सिर क्रीक क्षेत्र के पास, अपना वार्षिक त्रि‑सेवा युद्धाभ्यास त्रिशूल 2025 शुरू किया है, जिसमें भारतीय थल सेना, नौसेना और वायु सेना संयुक्त रूप से भाग ले रही हैं। यह अभ्यास ऐसे समय पर हो रहा है जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को इस विवादित क्षेत्र में सैन्य गतिविधियों को लेकर सख्त चेतावनी दी है।
प्रशिक्षण का उद्देश्य और क्षेत्र
त्रिशूल 2025 एक नियमित वार्षिक अभ्यास है, लेकिन इस बार इसका दायरा, संचालन क्षेत्र और रणनीतिक महत्व अधिक व्यापक है। अभ्यास के तहत थलसेना ने लगभग 20,000 से अधिक सैनिकों को तैनात किया है, जिनके साथ मुख्य युद्धक टैंक, हॉवित्ज़र तोपें, सशस्त्र हेलीकॉप्टर और आधुनिक मिसाइल प्रणालियाँ भी शामिल हैं।
वायुसेना ने “महागुजराज” नामक उच्च गति वाले अभियानों की शुरुआत की है, जिसमें राफेल और सुखोई-30एमकेआई जैसे आधुनिक लड़ाकू विमान, विशेष मिशन विमान, हेलीकॉप्टर, ड्रोन, एयरबोर्न रडार और मध्य हवा में ईंधन भरने वाले विमान शामिल हैं।
नौसेना ने गुजरात के सौराष्ट्र तट पर अपने फ्रिगेट और विध्वंसक पोतों के साथ गहन सामुद्रिक अभ्यास शुरू किए हैं। साथ ही, उभयचर अभियानों और सामरिक संयोजन की भी योजना है।
रणनीतिक पृष्ठभूमि
यह अभ्यास ऐसे समय पर हो रहा है जब पाकिस्तान ने सिर क्रीक क्षेत्र के पास अपनी सैन्य गतिविधियों को तेज किया है। इसके जवाब में रक्षा मंत्री ने स्पष्ट चेतावनी दी थी कि भारत किसी भी दुस्साहस का करारा जवाब देगा। भारत ने राजस्थान और गुजरात की सीमा के पास 30 अक्टूबर से 10 नवंबर तक वायु क्षेत्र को नागरिक विमानों के लिए बंद करने की अधिसूचना जारी की है।
वहीं, पाकिस्तान ने भी अपने दक्षिणी और मध्य वायुक्षेत्र में हवाई मार्गों पर प्रतिबंध लगाए हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि दोनों देशों के बीच सामरिक गतिशीलता तेज हो गई है। इस स्थिति में त्रिशूल 2025 भारत की सैन्य तत्परता और सीमा पर निगरानी क्षमताओं का महत्वपूर्ण प्रदर्शन है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- सिर क्रीक एक 96 किलोमीटर लंबा ज्वारीय क्षेत्र है जो भारत के गुजरात और पाकिस्तान के सिंध प्रांत के बीच स्थित है।
- त्रि-सेवा युद्धाभ्यास का उद्देश्य थलसेना, नौसेना और वायुसेना के बीच तालमेल बढ़ाना होता है।
- NOTAM (Notice to Airmen) एक आधिकारिक सूचना है जो विमान चालकों को वायु क्षेत्र की स्थिति के बारे में सूचित करती है।
- अभ्यास “ट्रिनेत्र” के तहत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, ड्रोन विरोधी संचालन और स्पेक्ट्रम नियंत्रण जैसे आधुनिक सैन्य आयामों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।