भारत ने ताजिकिस्तान के आयनी एयरबेस से सैन्य उपस्थिति समाप्त की

भारत ने ताजिकिस्तान के आयनी एयरबेस से सैन्य उपस्थिति समाप्त की

भारत ने ताजिकिस्तान में स्थित आयनी एयरबेस से अपनी सैन्य उपस्थिति औपचारिक रूप से समाप्त कर दी है, जहां दो दशकों से अधिक समय तक भारतीय सैन्यकर्मी तैनात रहे। यह एयरबेस भारत के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता रहा है, विशेषकर अफगानिस्तान और पाकिस्तान के निकटस्थ भू-राजनीतिक क्षेत्र में भारतीय प्रभाव के विस्तार की दृष्टि से।

समझौता समाप्त, उपस्थिति भी समाप्त

भारत और ताजिकिस्तान के बीच आयनी एयरबेस के विकास और संयुक्त संचालन को लेकर जो द्विपक्षीय समझौता हुआ था, वह लगभग चार वर्ष पहले समाप्त हो गया था और उसे नवीनीकृत नहीं किया गया। यह एयरबेस सोवियत युग में निर्मित हुआ था, लेकिन सोवियत संघ के विघटन के बाद यह जर्जर अवस्था में पहुंच गया था। भारत ने इसके आधुनिकीकरण पर लगभग 100 मिलियन डॉलर खर्च किए थे।

अधोसंरचना विकास और सैन्य तैनाती

भारत ने रनवे को लंबा और मजबूत बनाया ताकि लड़ाकू विमान और भारी मालवाहक विमान उतर सकें। इसके साथ ही यहां फ्यूल डिपो, कठोर विमान आश्रय (hardened shelters), एयर ट्रैफिक कंट्रोल सुविधाएं और अन्य आधारभूत ढांचे विकसित किए गए। 2014 के बाद भारतीय वायुसेना के Su-30MKI जैसे विमान भी यहां अस्थायी रूप से तैनात किए गए थे। किसी-किसी समय पर यहां 200 तक सैन्यकर्मी, मुख्यतः सेना और वायुसेना से, तैनात रहते थे।

प्रारंभिक उद्देश्य: उत्तरी गठबंधन को समर्थन

1990 के दशक के उत्तरार्ध और 2000 के प्रारंभ में भारत की तैनाती का प्रमुख उद्देश्य उत्तरी गठबंधन (Northern Alliance) को रसद, चिकित्सा और हवाई समर्थन देना था — जो अफगानिस्तान में तालिबान के विरुद्ध मुख्य सैन्य बल था। इसी प्रयास के अंतर्गत भारत ने फारखोर में एक सैन्य अस्पताल भी स्थापित किया था, जहां अफगान नेता अहमद शाह मसूद को 9/11 हमले से दो दिन पहले गंभीर घायल अवस्था में लाया गया था।

अफगान संकट में रणनीतिक उपयोग

2021 में जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर फिर से नियंत्रण कर लिया, तब भारत ने आयनी एयरबेस का उपयोग अफगानिस्तान से अपने राजनयिकों और नागरिकों को निकालने के लिए किया। इसके लिए सैन्य और नागरिक दोनों प्रकार के विमानों का प्रयोग किया गया था।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • आयनी एयरबेस ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे से लगभग 10 किमी पश्चिम में स्थित है।
  • यह एयरबेस सोवियत काल में बना था; भारत ने इसके पुनर्निर्माण में करीब $100 मिलियन खर्च किए।
  • भारत ने यहां Su-30MKI और अन्य संसाधनों के साथ सैनिक तैनात किए थे।
  • यह आधार पाकिस्तान के पीओके से लगे वाखान कॉरिडोर से लगभग 20 किमी की दूरी पर है।
  • भारत ने 2022 तक सभी सैनिकों और उपकरणों को वापस बुला लिया।

रणनीतिक संतुलन में परिवर्तन

भारत की इस वापसी को मध्य एशिया में सामरिक रणनीति के पुनर्मूल्यांकन के रूप में देखा जा रहा है। यह संकेत करता है कि भारत अब सैन्य उपस्थिति के स्थान पर कूटनीतिक, आर्थिक और बहुपक्षीय साझेदारियों के माध्यम से क्षेत्रीय प्रभाव को संतुलित करने पर अधिक ध्यान दे सकता है। फिर भी, आयनी एयरबेस का इतिहास भारत की मध्य एशिया में रणनीतिक पहुंच का एक महत्वपूर्ण अध्याय रहेगा।

Originally written on November 1, 2025 and last modified on November 1, 2025.

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