भारत ने चीन की नाम बदलने की रणनीति की निंदा की

भारत ने चीन की नाम बदलने की रणनीति की निंदा की

भारत सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में चुनिंदा जगहों का नाम बदलने के चीन के ताजा प्रयासों की खुलकर आलोचना की है। भारत ने आगे दोहराया कि पड़ोसी देश द्वारा किए गए ये प्रयास निराधार हैं। विदेश मंत्रालय की ओर से एक बयान जारी कर कहा गया कि अरुणाचल प्रदेश लोकतांत्रिक भारत का एक महत्वपूर्ण अभिन्न अंग है। भारत ने चीनी राष्ट्र के किसी भी तरह के दबाव में आने से इनकार कर दिया।

भारत-चीन सीमा विवाद

केंद्रीय मंत्री करण रिजिजू ने हाल ही में एक बयान में चीनी गतिविधियों को नियंत्रण में रखने के लिए भारत की सक्रिय पहलों पर चर्चा की। केंद्र में पिछली सरकारों द्वारा किए गए निष्क्रिय उपायों के परिणामस्वरूप सीमा विवाद उत्पन्न हुआ है। मंत्रालय ने आगे कहा कि चीन द्वारा नाम बदलने के प्रयासों से राज्य के बुनियादी ढांचे और विकास कार्यक्रमों में कोई बाधा नहीं आएगी। हाल ही में चीन ने अरुणाचल प्रदेश में लगभग 30 स्थानों का नाम बदल दिया है, जिससे भारत को सीमा विवाद पर एक दृढ़ रुख दिखाने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

भारत के क्षेत्रीय दावों का ऐतिहासिक और कानूनी आधार

अतीत में भारत के कुछ क्षेत्रों पर चीन के साम्राज्यवादी कब्जे के आधार पर, इस क्षेत्र में समय-समय पर क्षेत्रीय दावे उभर कर सामने आते रहे हैं। दूसरी ओर, अतीत में चीनी सरकारों ने यह भी चिह्नित किया है कि भारत अतीत के ब्रिटिश साम्राज्यवाद के आधार पर अपने क्षेत्रों पर क्षेत्रीय स्वामित्व का दावा करता है। मूल रूप से, ऐतिहासिक कब्जे और पर्याप्त समझ की कमी ने सीमा मुद्दे में लंबे समय से दरार पैदा की है।

1962 में भारत-चीन के बीच हुए युद्ध में दोनों देशों के बीच क्षेत्रीय दावों को लेकर विवाद आज भी अनसुलझा है। दोनों देशों के बीच समय-समय पर राजनीतिक तनाव बढ़ता रहा है, जिसके परिणामस्वरूप स्थानीय स्तर पर झड़पें और संघर्ष हुए हैं।

Originally written on April 6, 2024 and last modified on April 6, 2024.

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