भारत–नेपाल सीमा समन्वय वार्ता फिर शुरू, क्षेत्रीय स्थिरता की दिशा में अहम कदम

भारत–नेपाल सीमा समन्वय वार्ता फिर शुरू, क्षेत्रीय स्थिरता की दिशा में अहम कदम

भारत और नेपाल के बीच उच्च-स्तरीय सीमा समन्वय वार्ता बुधवार से नई दिल्ली में शुरू हो रही है। यह वार्ता सितंबर में हुए “जेन-ज़ी विरोध प्रदर्शनों” और नेपाल में ओली सरकार के पतन के बाद दोनों देशों के बीच पहली औपचारिक बैठक होगी। 12 से 14 नवंबर 2025 तक चलने वाली इस वार्ता का उद्देश्य सीमा सुरक्षा, अपराध रोकथाम और खुफिया सहयोग को सुदृढ़ करना है।

एसएसबी और एपीएफ के बीच उच्च स्तरीय बैठक

9वीं वार्षिक समन्वय बैठक में दोनों देशों की सीमा सुरक्षा एजेंसियाँ शामिल होंगी भारत की सशस्त्र सीमा बल (SSB) और नेपाल की आर्म्ड पुलिस फोर्स (APF)। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व एसएसबी महानिदेशक संजय सिंघल कर रहे हैं, जबकि नेपाली पक्ष का नेतृत्व एपीएफ के इंस्पेक्टर जनरल राजु आर्याल कर रहे हैं। यह दोनों पक्षों के बीच नवंबर 2024 के बाद पहली आमने-सामने की बैठक है, जब पिछली वार्ता काठमांडू में आयोजित हुई थी।

सीमा सुरक्षा और समन्वय पर मुख्य चर्चा

एसएसबी द्वारा जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, वार्ता के प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं

  • मानव तस्करी, तस्करी, अवैध व्यापार जैसे सीमापार अपराधों से निपटने के लिए संयुक्त रणनीतियाँ विकसित करना।
  • उभरते खतरों के खिलाफ वास्तविक समय खुफिया आदान-प्रदान को सशक्त करना।
  • सीमाई संचार और समन्वित प्रबंधन को बेहतर बनाना।
  • 1,751 किलोमीटर लंबी भारत–नेपाल खुली सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखना, जिसकी सुरक्षा भारत का सशस्त्र सीमा बल (SSB) करता है।

इसके अलावा, एसएसबी भारत–भूटान सीमा (699 किमी) की भी सुरक्षा करती है, जिससे यह बैठक क्षेत्रीय सीमा सुरक्षा एकीकरण की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता की पृष्ठभूमि

यह वार्ता ऐसे समय में हो रही है जब नेपाल “जेन-ज़ी आंदोलन” के प्रभाव से उभरा है एक युवा-नेतृत्व वाला विरोध आंदोलन जिसने राजनीतिक जवाबदेही और आर्थिक सुधारों की मांग उठाई थी। इस व्यापक आंदोलन के चलते तत्कालीन प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा। नई अंतरिम सरकार ने भारत के साथ रिश्तों को फिर से सामान्य करने और सीमा सहयोग को प्राथमिकता देने की घोषणा की है।

रणनीतिक और क्षेत्रीय महत्व

विश्लेषकों का मानना है कि इस वार्ता का फिर से शुरू होना दोनों देशों की द्विपक्षीय संबंधों को पुनर्स्थापित करने और क्षेत्रीय अस्थिरता के बीच साझा सुरक्षा हितों को मजबूत करने की दिशा में सकारात्मक संकेत है। भारत और नेपाल के बीच गहरे आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रिश्ते हैं, लेकिन खुली सीमा के कारण दोनों देश सीमापार अपराध और उग्रवादी गतिविधियों की चुनौतियों का भी सामना करते रहे हैं।
यह संवाद पारस्परिक विश्वास निर्माण और आगे चलकर व्यापार, पारगमन और क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग जैसे क्षेत्रों में गहराई से साझेदारी बढ़ाने की दिशा में एक ठोस कदम माना जा रहा है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • 9वीं भारत–नेपाल सीमा समन्वय बैठक नई दिल्ली में 12–14 नवंबर 2025 के बीच आयोजित हो रही है।
  • यह बैठक जेन-ज़ी विरोध प्रदर्शनों के बाद पहली उच्च स्तरीय वार्ता है।
  • भारतीय प्रतिनिधिमंडल: एसएसबी महानिदेशक संजय सिंघल।
  • नेपाली प्रतिनिधिमंडल: एपीएफ इंस्पेक्टर जनरल राजु आर्याल।
  • एसएसबी 1,751 किमी लंबी भारत–नेपाल सीमा और 699 किमी भारत–भूटान सीमा की सुरक्षा करती है।

आगे की राह

यह वार्ता भारत और नेपाल के बीच कूटनीतिक पुनर्संतुलन का प्रतीक है। जैसे-जैसे दोनों देश लोकतांत्रिक संक्रमण और सुरक्षा सहयोग के बीच संतुलन स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं, यह बैठक दक्षिण एशिया में सीमा प्रबंधन, शांति और पारस्परिक सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण परीक्षण साबित हो सकती है।

Originally written on November 12, 2025 and last modified on November 12, 2025.

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