भारत: दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
भारत ने 2025 में वैश्विक आर्थिक मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण मुकाम हासिल किया है। अब nominal GDP के आधार पर भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, और उसकी जीडीपी $4.18 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच चुकी है, जिससे जापान को पीछे छोडा गया है। इसके साथ ही आधिकारिक अनुमान बताते हैं कि आगामी तीन वर्षों में भारत जर्मनी को भी पीछे छोड़ते हुए $7.3 ट्रिलियन डॉलर के सम्मोहक लक्ष्य तक पहुंच सकता है। यह उपलब्धि उस समय हासिल की जा रही है जब वैश्विक व्यापार और नीति परिवेश अनिश्चितताओं से जूझ रहा है, जिससे भारत की आर्थिक मजबूती और विकास गतिशीलता उजागर होती है।
भारत की अर्थव्यवस्था ने वित्त वर्ष 2025–26 की दूसरी तिमाही में 8.2 प्रतिशत की असली GDP वृद्धि दर्ज की, जो पिछले छह तिमाहियों में सबसे उच्च है। इससे पहले पिछली तिमाही में 7.8 प्रतिशत और FY 2024–25 की अंतिम तिमाही में 7.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी। इसी प्रकार वास्तविक सकल मूल्य वर्धन (GVA) भी 8.1 प्रतिशत बढ़ा, जो मुख्य रूप से उद्योग और सेवा क्षेत्रों की विस्तारित गतिविधियों के कारण संभव हुआ।
आर्थिक विस्तार के प्रमुख कारण
भारत की अर्थव्यवस्था का यह लगातार विस्तार कई अंतःस्थ आर्थिक शक्तियों और नीतिगत समर्थन का परिणाम है:
घरेलू मांग की मजबूती:
भारत की विकास कहानी में निजी खपत एक केंद्रीय भूमिका निभा रही है। लगातार कम होती बेरोजगारी, बेहतर निर्यात प्रदर्शन और वाणिज्यिक क्षेत्र में मजबूत क्रेडिट प्रवाह ने उपभोग गतिविधियों को प्रोत्साहन दिया है। शहरी क्षेत्रों में खर्च और उपभोग भी मजबूत हुए हैं, जिनका समर्थन स्थिर वित्तीय स्थितियों और मुद्रास्फीति की नियंत्रण में रहने से हुआ है। मुद्रास्फीति ने RBI के सहनीय निचले मानक से नीचे बनी रहने में मदद की, जिससे उपभोक्ता और निवेशक दोनों के विश्वास को बल मिला।
नीतिगत सुधार और प्रोत्साहन:
सरकार द्वारा आयकर और GST के पुनर्गठन, कच्चे तेल की कम कीमतों का लाभ, तथा अग्रिम सरकारी पूंजीगत व्यय ने आर्थिक विस्तार को समर्थन दिया है। इसके अलावा, अनुकूल मौद्रिक और वित्तीय स्थितियों ने भी वृद्धि को मजबूती प्रदान की है। रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने FY 2025–26 के लिए GDP वृद्धि अनुमान को 6.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया है, जो अर्थव्यवस्था की मजबूत बुनियाद को दर्शाता है।
बाजार व भावी दिशा
आगे की ओर देखा जाए तो भारत की कृषि उत्पादन स्थितियां अनुकूल प्रतीत हो रही हैं, कॉर्पोरेट और बैंकिंग क्षेत्र की मजबूत वित्तीय स्थिति बनी हुई है, तथा निर्यात सेवाओं की मांग भी बढ़ रही है। व्यापार और निवेश समझौतों में प्रगति वैश्विक एकीकृत मंचों पर भारत की उपस्थिति को और मजबूती प्रदान कर सकती है। समग्र आर्थिक माहौल को “गोल्डीलॉक्स पीरियड” के रूप में वर्णित किया जा रहा है, जिसमें उच्च वृद्धि और निम्न मुद्रास्फीति का दुर्लभ संयोजन देखने को मिला है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- भारत nominal GDP के आधार पर 2025 में विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया।
- FY 2025–26 की दूसरी तिमाही में भारत की वास्तविक GDP वृद्धि 8.2% रही।
- RBI ने FY 2025–26 के लिए GDP वृद्धि अनुमान को 7.3% तक बढ़ाया।
- भारत 2047 तक उच्च मध्य आय वाले राष्ट्र बनने का लक्ष्य रखता है।
इस प्रकार, भारत की अर्थव्यवस्था वर्तमान वैश्विक आर्थिक अस्थिरताओं के बीच निरंतर मजबूती की ओर अग्रसर है। घरेलू मांग, आर्थिक सुधार, और अनुकूल नीतिगत वातावरण ने न केवल विकास के मार्ग को सुनिश्चित किया है, बल्कि भविष्य के लिए सकारात्मक संभावनाओं के द्वार भी खोले हैं। यह आर्थिक परिवर्तन निश्चित रूप से भारत को वैश्विक विकास में एक प्रमुख स्थान दिलाने की दिशा में एक निर्णायक कदम है।