भारत-जापान ऊर्जा साझेदारी में नया अध्याय: टोरेंट पावर और JERA के बीच दीर्घकालिक LNG समझौता
भारत और जापान के बीच ऊर्जा सहयोग को नई मजबूती मिली है। जापान की प्रमुख विद्युत उत्पादन कंपनी JERA ने भारत की टोरेंट पावर के साथ अपने पहले दीर्घकालिक तरल प्राकृतिक गैस (LNG) निर्यात समझौते को अंतिम रूप दिया है। यह समझौता न केवल दोनों देशों की ऊर्जा जरूरतों को संतुलित करने वाला है, बल्कि स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारी की दिशा में एक अहम कदम भी है।
दीर्घकालिक आपूर्ति समझौते का विवरण
इस अनुबंध के तहत JERA वर्ष 2027 से शुरू होकर अगले 10 वर्षों तक टोरेंट पावर को हर साल चार LNG कार्गो की आपूर्ति करेगा। आपूर्ति “डिलीवर्ड बेसिस” पर होगी, जिससे टोरेंट पावर को निश्चित और नियमित एलएनजी मिल सकेगा। यह JERA का भारत के साथ पहला दीर्घकालिक निर्यात अनुबंध है।
बिजली उत्पादन और उपभोक्ता क्षेत्रों में LNG का उपयोग
टोरेंट पावर 2,730 मेगावाट विद्युत उत्पादन क्षमता के लिए इस ईंधन का उपयोग करेगा। इसके अलावा कंपनी एलएनजी को घरेलू उपभोक्ताओं, लघु उद्योगों और परिवहन क्षेत्र में भी वितरित करेगी। यह विविधीकृत उपयोग भारत की स्वच्छ और विश्वसनीय ऊर्जा की ओर बढ़ती नीति के अनुरूप है।
मौसमी ऊर्जा मांग में संतुलन
JERA ने बताया कि जापान और भारत में ऊर्जा की मौसमी मांग में महत्वपूर्ण अंतर है। जब जापान में ऊर्जा मांग कम होती है (सर्दियों के बाद), तब कंपनी अपनी वैश्विक एलएनजी आपूर्ति को भारत जैसे देशों की ओर निर्देशित करेगी, जहाँ गर्मियों में मांग उच्चतम स्तर पर होती है। यह मॉडल दोनों पक्षों के लिए आपूर्ति स्थिरता और लागत दक्षता सुनिश्चित करता है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- समझौते के तहत 2027 से 10 वर्षों तक हर साल 4 LNG कार्गो की आपूर्ति होगी।
- JERA जापान की सबसे बड़ी विद्युत उत्पादन कंपनी है, जो TEPCO और Chubu Electric Power का संयुक्त उपक्रम है।
- टोरेंट पावर की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 2,730 मेगावाट है।
- यह समझौता भारत और जापान की मौसमी ऊर्जा जरूरतों के पूरकता सिद्धांत पर आधारित है।
JERA की वैश्विक ऊर्जा रणनीति
JERA ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह मध्य पूर्व, एशिया और अमेरिका जैसे क्षेत्रों में अपनी एलएनजी आपूर्ति श्रृंखला का विस्तार करेगा। इस विविधीकरण से वैश्विक बाजार अस्थिरताओं से बचाव और दीर्घकालिक आपूर्ति सुरक्षा मजबूत होगी — विशेष रूप से भारत जैसे साझेदारों के लिए।
भारत की ऊर्जा सुरक्षा और स्वच्छ ऊर्जा में रूपांतरण की दिशा में यह समझौता एक निर्णायक पहल है, जो आने वाले वर्षों में औद्योगिक और घरेलू स्तर पर ऊर्जा आपूर्ति को अधिक स्थिर और विश्वसनीय बनाएगा।