भारत-चीन संबंधों में नई शुरुआत: वांग यी की यात्रा और द्वि-स्तरीय रणनीति

चीनी विदेश मंत्री वांग यी की हालिया भारत यात्रा दोनों देशों के बीच संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत के रूप में देखी जा रही है। यह पिछले वर्ष अक्टूबर में सीमा पर सैनिकों की वापसी की सहमति के बाद चीन की ओर से पहली मंत्रीस्तरीय यात्रा थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान वांग यी ने माना कि द्विपक्षीय संबंधों में “उतार-चढ़ाव” आए हैं और इनसे सबक लेना ज़रूरी है।
पिछले छह वर्षों में भारत-चीन संबंधों का उतार-चढ़ाव
2019 में महाबलीपुरम में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की दूसरी अनौपचारिक शिखर बैठक में गर्मजोशी का माहौल था। लेकिन मात्र आठ महीने बाद, 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प ने 20 भारतीय सैनिकों और कई चीनी सैनिकों की जान ले ली। इसके बाद भारत ने लगभग 60,000 सैनिकों को सीमा पर तैनात किया, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया।
सीमा से आगे बढ़ते कदम
2024 के मध्य में स्थिति में सुधार आने लगा और 21 अक्टूबर को भारत-चीन नेDepsang और Demchok से सैनिकों की वापसी की सहमति दी। इसके दो दिन बाद, कज़ान में मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात में रिश्तों को सुधारने का निर्णय लिया गया। इसके बाद भारतीय विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और विदेश सचिव ने चीन का दौरा किया।
द्वि-स्तरीय रणनीति: सीमा और संबंध, साथ-साथ
1988 में राजीव गांधी की चीन यात्रा के समय अपनाई गई रणनीति को फिर से सक्रिय किया गया है, जिसमें सीमा मुद्दों और सामान्य द्विपक्षीय संबंधों को समानांतर रूप से संभालने की सहमति बनी है। इस रणनीति के तहत:
- सीमा निर्धारण में “अर्ली हार्वेस्ट” समाधान तलाशने हेतु एक विशेषज्ञ समूह बनाया गया है।
- सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के लिए एक वर्किंग ग्रुप गठित किया गया है।
- पूर्वी, मध्य और पश्चिमी क्षेत्रों के लिए अलग-अलग जनरल लेवल मैकेनिज्म स्थापित किए जाएंगे।
द्विपक्षीय संबंधों में सहमति
- सीधी विमान सेवाओं को फिर से शुरू करने पर सहमति बनी है।
- पर्यटन, व्यापार, मीडिया और अन्य यात्रियों के लिए वीज़ा प्रक्रिया को सरल बनाने की योजना है।
- लिपुलेख, शिपकी ला और नाथू ला दर्रों से सीमा व्यापार फिर शुरू किया जाएगा।
- आपातकालीन स्थितियों में जल-प्रवाह जानकारी साझा करने पर सहमति बनी है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- गलवान घाटी झड़प (2020) भारत-चीन संबंधों का सबसे गंभीर सैन्य टकराव था।
- SCO (शंघाई सहयोग संगठन) आतंकवाद विरोध का प्रमुख मंच है जिसमें भारत, चीन, रूस और मध्य एशियाई देश शामिल हैं।
- Depsang और Demchok लद्दाख क्षेत्र में स्थित तनावपूर्ण इलाके हैं जहां सैनिक तैनाती बनी हुई है।
- यारलुंग त्संगपो (ब्रह्मपुत्र) पर चीन द्वारा बनाया जा रहा बड़ा बांध भारत सहित नीचे के देशों के लिए चिंता का विषय है।
विश्वास की बहाली: चीन पर दायित्व
भले ही सीमा पर तनाव कुछ हद तक कम हुआ हो, पर विश्वास की बहाली की राह लंबी है। चीन की पाकिस्तान से सैन्य साझेदारी, ब्रह्मपुत्र पर बांध निर्माण, और दुर्लभ खनिजों पर निर्यात प्रतिबंध जैसे मुद्दों ने भारत की चिंताओं को और गहरा किया है। यदि द्वि-स्तरीय रणनीति को स्थायी बनाना है, तो चीन को भारत की इन चिंताओं का ठोस समाधान प्रस्तुत करना होगा।
भारत और चीन के बीच रिश्तों की बहाली कोई तात्कालिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह दीर्घकालिक राजनीतिक इच्छाशक्ति, आपसी सम्मान और पारदर्शिता पर निर्भर करेगी। वांग यी की यह यात्रा इस दिशा में एक सकारात्मक संकेत हो सकती है — यदि इसे सही दिशा में आगे बढ़ाया जाए।