भारत को समुद्र तल के खजाने की खोज की अनुमति: कार्ल्सबर्ग रिज में बहुमूल्य धातुओं की खोज करेगा भारत

भारत ने हाल ही में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए अंतरराष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण (International Seabed Authority – ISA) से कार्ल्सबर्ग रिज क्षेत्र में पॉलीमेटालिक सल्फाइड नोड्यूल्स की खोज के लिए अन्वेषण अनुबंध प्राप्त किया है। यह पहला ऐसा वैश्विक लाइसेंस है जो किसी देश को इस प्रकार के बहुमूल्य धातुयुक्त नोड्यूल्स की खोज के लिए मिला है। यह अनुबंध 15 सितंबर 2025 को नई दिल्ली में साइन किया गया।
क्या हैं पॉलीमेटालिक सल्फाइड नोड्यूल्स?
समुद्र की गहराई में पाए जाने वाले पॉलीमेटालिक सल्फाइड नोड्यूल्स चट्टान के रूप में होते हैं, जो मैंगनीज, कोबाल्ट, निकल और तांबे जैसी महत्वपूर्ण धातुओं से भरपूर होते हैं। ये धातुएं आधुनिक तकनीक, विशेष रूप से बैटरी निर्माण और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में अत्यंत आवश्यक मानी जाती हैं। दुनिया भर में इन धातुओं की बढ़ती मांग के चलते ऐसे नोड्यूल्स का महत्त्व तेजी से बढ़ रहा है।
कार्ल्सबर्ग रिज: एक भूगर्भिक खजाना
कार्ल्सबर्ग रिज भारतीय महासागर में स्थित एक मध्य-महासागरीय रिज है, जो अरब सागर और उत्तर-पश्चिम भारतीय महासागर के बीच फैला है। यह लगभग 3 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है और भारतीय और सोमाली टेक्टोनिक प्लेटों की सीमा बनाता है। इसकी औसत गहराई समुद्र तल से 6,000 से 12,000 फीट के बीच है, जबकि यह महासागर के तल से लगभग 7,000 फीट की ऊँचाई तक उठता है। यह रिज भूकंपीय गतिविधियों का भी केंद्र है और वैज्ञानिकों के लिए भूगर्भीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
भारत की रणनीतिक तैयारी और पहले से प्राप्त लाइसेंस
भारत को पहले भी आईएसए से मध्य भारतीय महासागर बेसिन (Central Indian Ocean Basin) और भारतीय महासागर रिज में अन्वेषण के लिए अनुबंध मिल चुके हैं। पहला अनुबंध 2002 में मिला था जो 2027 तक वैध है, जबकि दूसरा 2016 में पॉलीमेटालिक सल्फाइड्स के लिए साइन किया गया था, जिसकी वैधता 2031 तक है।
हालिया अनुबंध के साथ भारत ने कार्ल्सबर्ग रिज के लिए अधिकार प्राप्त किए हैं, जबकि अफनासी-निकितिन सी माउंट (ANS) के लिए अभी स्वीकृति लंबित है। यह क्षेत्र केंद्रीय भारतीय महासागर में स्थित है और इस पर श्रीलंका ने भी दावा किया है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- कार्ल्सबर्ग रिज, भारतीय और सोमाली प्लेटों की सीमा बनाता है और यह एक विवर्तनिक प्लेटों का डाइवर्जेंट बॉउंड्री है।
- ISA (International Seabed Authority) का मुख्यालय जमैका में स्थित है और यह समुद्र के अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रों में खनन गतिविधियों का नियंत्रण करता है।
- भारत ने जनवरी 2024 में दो क्षेत्रों के लिए आवेदन किया था – कार्ल्सबर्ग रिज और ANS माउंट।
- पॉलीमेटालिक सल्फाइड्स में मौजूद धातुएं ग्रीन टेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए अत्यंत आवश्यक मानी जाती हैं।