भारत के निर्यात क्षेत्र को बढ़ावा: चमड़ा उद्योग और RoDTEP योजना में बड़े सुधार

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने हाल ही में भारत के निर्यात क्षेत्र को प्रतिस्पर्धी और लागत-प्रभावी बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। विशेष रूप से तमिलनाडु में निर्मित चमड़ा उत्पादों के संदर्भ में दो बड़े निर्णय लिए गए हैं:

  1. चयनित बंदरगाहों की बाध्यता समाप्त: अब फिनिश्ड लेदर, वेट ब्लू लेदर और ईस्ट इंडिया टैंड लेदर को किसी भी बंदरगाह या इनलैंड कंटेनर डिपो से निर्यात किया जा सकता है।
  2. केंद्रीय चमड़ा अनुसंधान संस्थान (CLRI) से अनिवार्य परीक्षण हटाया गया: इन उत्पादों के निर्यात के लिए अब CLRI प्रमाणन की आवश्यकता नहीं होगी।

ईस्ट इंडिया टैंड लेदर, जो वनस्पति रंगों से विशेष रूप से तैयार किया जाता है, को भौगोलिक संकेत (GI टैग) प्राप्त है, जिससे इसका ब्रांड मूल्य वैश्विक बाजार में बढ़ता है।

RoDTEP योजना की बहाली: निर्यातकों के लिए राहत

सरकार ने मंगलवार को एक और अहम घोषणा की, जिसमें Advance Authorization (AA) धारकों, Export-Oriented Units (EOUs) और Special Economic Zones (SEZs) में स्थित इकाइयों को RoDTEP योजना के तहत लाभ देने की बात कही गई। यह योजना 1 जून 2025 से पुनः प्रभावी होगी।
RoDTEP क्या है?यह योजना 2021 में शुरू की गई थी और इसका उद्देश्य उन करों और शुल्कों की भरपाई करना है जो अन्य योजनाओं में कवर नहीं होते। यह विश्व व्यापार संगठन (WTO) के अनुरूप है और पूरी तरह से डिजिटल प्रक्रिया से संचालित होती है।

आर्थिक प्रभाव और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया

  • SC रल्हन (FIEO अध्यक्ष): उन्होंने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि यह भारतीय निर्यातकों की वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ाएगा।
  • Ajay Srivastava (GTRI): उन्होंने आलोचना करते हुए कहा कि फरवरी 5 से मई 31, 2025 के बीच योजना के लाभ रोकने से निर्यातकों के बीच अस्थिरता उत्पन्न हुई। उन्होंने मांग की कि RoDTEP को कम से कम पांच वर्षों के लिए स्थिर रूप से लागू किया जाए।

वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए आवंटन

सरकार ने RoDTEP योजना के लिए 18,233 करोड़ रुपये का आवंटन किया है, जो 10,780 घरेलू उत्पाद श्रेणियों और 10,795 AA, EOU, और SEZ इकाइयों की उत्पाद श्रेणियों को कवर करेगा।

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