भारत के कृषि निर्यात में ऐतिहासिक उपलब्धि: इंग्लैंड पहुंची GI टैग वाली नींबू किस्में
भारत ने अपने कृषि निर्यात में एक और ऐतिहासिक मील का पत्थर पार किया है। पहली बार कर्नाटक की “इंडी लाइम” और तमिलनाडु की “पुलियंकुडी लाइम” को हवाई मार्ग से यूनाइटेड किंगडम (UK) निर्यात किया गया है। यह पहल एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (APEDA) द्वारा संभव हो पाई है, जो भारतीय कृषि उत्पादों की वैश्विक पहचान बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इंडी लाइम: कर्नाटक की खुशबूदार पहचान
विजयपुरा ज़िले की इंडी लाइम अपनी तीव्र सुगंध, पतली छिलकों और अधिक रस वाली प्रकृति के कारण विशेष रूप से प्रसिद्ध है। इसका खट्टा-मीठा स्वाद और उच्च तेल सामग्री इसे साधारण नींबू से अलग करता है। काले कपास वाले मिट्टी और अर्ध-शुष्क जलवायु में पनपने वाली इस किस्म की खेती पारंपरिक और जैविक तरीकों से की जाती है।
इसमें पाया जाने वाला उच्च साइट्रिक एसिड इसे पेय पदार्थों, अचारों और आवश्यक तेलों में उपयोग के लिए आदर्श बनाता है। GI टैग मिलने से न केवल इस नींबू की क्षेत्रीय पहचान सुरक्षित होती है, बल्कि इससे किसानों को अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में बेहतर दाम और मान्यता भी मिलती है।
पुलियंकुडी लाइम: तमिलनाडु की पारंपरिक नींबू विरासत
तमिलनाडु के तेनकासी ज़िले की पुलियंकुडी लाइम, जिसे स्थानीय रूप से “पुलियंकुडी एलुमिचाई” कहा जाता है, अपनी गाढ़ी सुगंध, चिकने हरे छिलके और संतुलित अम्लता के लिए जानी जाती है। इसकी लोकप्रियता दक्षिण भारत के घरों में लंबे समय से बनी हुई है, जहां इसे औषधीय, पाक और संरक्षण संबंधी गुणों के लिए सराहा जाता है।
इस क्षेत्र की लाल दोमट मिट्टी और उष्णकटिबंधीय जलवायु इस नींबू की गुणवत्ता को और बेहतर बनाते हैं। पारंपरिक खेती की विधियों को संरक्षित रखने वाले किसानों को GI टैग से लाभ मिला है, और अब यह किस्म वैश्विक मंच पर तमिलनाडु की कृषि विरासत की प्रतिनिधि बन गई है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- APEDA ने कर्नाटक की इंडी लाइम और तमिलनाडु की पुलियंकुडी लाइम का पहली बार UK को निर्यात करवाया।
- GI टैग किसी उत्पाद को उसकी भौगोलिक उत्पत्ति से जोड़ता है और उसकी गुणवत्ता की गारंटी देता है।
- स्वदेशी इंडी लाइम को पहले UAE को भी निर्यात किया जा चुका है।
- भारत ने हाल ही में कारगिल से सेब और खुबानी जैसे फलों का निर्यात खाड़ी देशों (सऊदी अरब, कुवैत, क़तर) में शुरू किया है।
GI टैग और किसान सशक्तिकरण
GI टैग न केवल किसी उत्पाद की क्षेत्रीय विशिष्टता को मान्यता देता है, बल्कि किसानों को बेहतर दाम, बाज़ार पहचान और पारंपरिक खेती को संरक्षित करने का अवसर भी प्रदान करता है। यह निर्यात न केवल किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद करता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भारत की विश्वसनीयता को भी दर्शाता है।
वैश्विक बाज़ार में भारत की बढ़ती भागीदारी
इन विशेष नींबू किस्मों के निर्यात के अलावा, भारत अन्य कृषि उत्पादों जैसे कि उत्तर भारत के सेब और खुबानी को भी अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में उतार रहा है। यह भारत की रणनीति का हिस्सा है जिसमें किसानों को वैश्विक मूल्य श्रृंखला से जोड़ने और देश के कृषि उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय ब्रांड के रूप में स्थापित करने पर जोर दिया जा रहा है।
ब्रुसेल्स में वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और यूरोपीय संघ के आयुक्त मारोस सेफकोविक के बीच हुई भारत-EU मुक्त व्यापार समझौते की चर्चा के दौरान इस प्रकार की पहलें भारत की व्यापारिक तैयारी और विश्व कृषि में नेतृत्व को दर्शाती हैं।