भारत के एयरोस्पेस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की उड़ान: स्वदेशी नवाचारों से नई दिशा

भारत के एयरोस्पेस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की उड़ान: स्वदेशी नवाचारों से नई दिशा

भारत का एयरोस्पेस क्षेत्र आज तीव्र गति से परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। स्वदेशी तकनीक, उद्योग-सरकार साझेदारी और संगठित नीति प्रयासों ने देश को आत्मनिर्भर एवं वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी विमानन शक्ति बनाने की दिशा में अग्रसर किया है। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री ने हाल ही में बेंगलुरु स्थित सीएसआईआर–राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशालाओं (CSIR–NAL) की यात्रा के दौरान इस प्रगति को रेखांकित किया और कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं का उद्घाटन किया।

स्वदेशी हंसा-3 (NG): पायलट प्रशिक्षण में नई उड़ान

इस अवसर पर मंत्री ने भारत के पहले “ऑल-कॉम्पोज़िट” दो-सीटर प्रशिक्षण विमान हंसा-3 (NG) के उत्पादन संस्करण का अनावरण किया। यह विमान बढ़ती पायलट प्रशिक्षण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है। अनुमान है कि अगले दो दशकों में भारत को लगभग 30,000 पायलटों की आवश्यकता होगी। हंसा-3 (NG) के निर्माण से विदेशी विमानों पर निर्भरता घटेगी और आत्मनिर्भरता को बल मिलेगा। इस परियोजना का औद्योगिक भागीदार आंध्र प्रदेश में एक बड़ा विनिर्माण केंद्र स्थापित कर रहा है, जहाँ प्रतिवर्ष 100 विमान तैयार किए जा सकेंगे, जिससे रोजगार और उद्यमिता दोनों को बढ़ावा मिलेगा।

क्षेत्रीय संपर्क के लिए SARAS Mk-2 में प्रगति

भारत की क्षेत्रीय हवाई यात्राओं की जरूरतों को पूरा करने हेतु SARAS Mk-2 परियोजना पर कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है। यह 19-सीटर विमान प्रेसराइज्ड केबिन, डिजिटल एवियोनिक्स, ग्लास कॉकपिट और कमांड-बाय-वायर नियंत्रण प्रणाली से लैस है, जो नागरिक और सैन्य दोनों उपयोगों के लिए उपयुक्त है। मंत्री ने “आयरन बर्ड फैसिलिटी” का उद्घाटन किया, जो विमान के सभी प्रणालियों के ग्राउंड-टेस्ट और एकीकृत परीक्षण के लिए समर्पित है। इससे विकास प्रक्रिया में तेजी आएगी और उड़ान-परीक्षण जोखिम घटेंगे।

उच्च ऊंचाई प्लेटफॉर्म और उन्नत सुरक्षा प्रणालियाँ

भारत ने अब हाई-एल्टीट्यूड प्लेटफॉर्म (HAPs) के वैश्विक क्षेत्र में भी प्रवेश कर लिया है। इसके लिए सौर-ऊर्जा संचालित मानव रहित विमान निर्माण सुविधा शुरू की गई है, जो 20 किलोमीटर से अधिक ऊंचाई पर लंबे समय तक उड़ान भरने में सक्षम होंगे। CSIR-NAL के प्रोटोटाइप ने पहले ही 7.5 किलोमीटर की ऊँचाई और 10 घंटे की उड़ान अवधि हासिल कर ली है। इसका पूर्ण पैमाने पर परीक्षण 2027 में निर्धारित है। साथ ही, मंत्री ने NAviMet प्रणाली का उद्घाटन किया, जो HAL हवाई अड्डे पर स्थापित की गई है और देश में विकसित DRISHTI व AWOS जैसी अन्य स्वदेशी सुरक्षा प्रणालियों की श्रृंखला को मजबूत करती है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • Hansa-3 (NG) भारत का पहला ऑल-कॉम्पोज़िट दो-सीटर प्रशिक्षण विमान है।
  • SARAS Mk-2 19-सीटर विमान है जो क्षेत्रीय संपर्क के लिए डिजाइन किया गया है।
  • CSIR-NAL का High Altitude Platform 2027 तक 20 किमी ऊँचाई तक पहुँचने का लक्ष्य रखता है।
  • NAviMet, DRISHTI और AWOS जैसी स्वदेशी विमानन सुरक्षा प्रणालियों का हिस्सा है।

रक्षा नवाचार और आत्मनिर्भर भारत की दिशा

एक और महत्वपूर्ण पहल के तहत 150 किलोग्राम श्रेणी के लोइटरिंग म्यूनिशन UAV के विकास के लिए समझौता किया गया, जो प्रमाणित वैंकल इंजन से संचालित होगा। यह मानव रहित विमान लंबी उड़ान क्षमता, उन्नत नेविगेशन और एआई-आधारित लक्ष्य प्रणाली से लैस होगा। मंत्री ने बताया कि प्रशिक्षण विमानों से लेकर UAVs तक ये सभी उपलब्धियाँ “आत्मनिर्भर भारत” के उस लक्ष्य की दिशा में हैं, जिसके तहत भारत वर्ष 2035 तक वैश्विक विमानन हब और 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की राह पर अग्रसर है।

Originally written on December 2, 2025 and last modified on December 2, 2025.

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