भारत के असंगठित श्रमिकों के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता की नई राह: नीति आयोग की ऐतिहासिक पहल

भारत के असंगठित श्रमिकों के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता की नई राह: नीति आयोग की ऐतिहासिक पहल

भारत में लगभग 49 करोड़ असंगठित श्रमिक देश की आधी जीडीपी में योगदान देते हैं, फिर भी वे औपचारिक सुरक्षा और उत्पादकता प्रणालियों से बाहर रहते हैं। इन्हीं को केंद्र में रखते हुए नीति आयोग ने “AI for Inclusive Societal Development” नामक एक ऐतिहासिक रोडमैप लॉन्च किया है, जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और अन्य अग्रणी तकनीकों के माध्यम से असंगठित क्षेत्र में व्यापक परिवर्तन लाने की दिशा में एक राष्ट्रीय प्रयास है।

मिशन डिजिटल श्रमसेतु: असंगठित श्रमिकों के लिए तकनीकी सशक्तिकरण

इस रोडमैप का मूल आधार “मिशन डिजिटल श्रमसेतु” है, जिसका उद्देश्य है हर असंगठित श्रमिक को एआई आधारित समाधान सुलभ, सस्ते और प्रभावशाली रूप में उपलब्ध कराना। इस मिशन के अंतर्गत ब्लॉकचेन, इमर्सिव लर्निंग और अन्य उन्नत तकनीकों का उपयोग करके वित्तीय असुरक्षा, सीमित बाज़ार पहुंच, कौशल की कमी और सामाजिक सुरक्षा जैसे प्रमुख मुद्दों का समाधान किया जाएगा।
मंत्री जयंत चौधरी ने इस पहल को न केवल आर्थिक, बल्कि नैतिक प्राथमिकता बताया। उन्होंने कहा कि किसान, कारीगर या स्वास्थ्य सहायक जैसे हर श्रमिक को डिजिटल अर्थव्यवस्था में आगे बढ़ने के लिए आवश्यक कौशल और अवसर मिलने चाहिए।

बहु-हितधारक साझेदारी की आवश्यकता

नीति आयोग के सीईओ बी. वी. आर. सुब्रह्मण्यम ने कहा कि यदि भारत को अपने असंगठित श्रमिकों के जीवन को वास्तव में बदलना है, तो सरकार, उद्योग, शिक्षा क्षेत्र और सिविल सोसायटी के बीच ठोस साझेदारी अनिवार्य है।
फ्रंटियर टेक हब की प्रमुख और नीति आयोग की प्रतिष्ठित फेलो देबजानी घोष ने इस रोडमैप को “विकसित भारत 2047” के $30 ट्रिलियन के लक्ष्य की आधारशिला बताया। उन्होंने कहा कि एआई से अपने आप कोई चमत्कार नहीं होगा, बल्कि यह योजना श्रमिकों की वास्तविक चुनौतियों और आकांक्षाओं को केंद्र में रखती है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • भारत में लगभग 49 करोड़ असंगठित श्रमिक कार्यरत हैं, जो कुल जीडीपी का लगभग 50% योगदान देते हैं।
  • नीति आयोग का यह एआई रोडमैप डेलॉइट के सहयोग से तैयार किया गया है।
  • मिशन डिजिटल श्रमसेतु के अंतर्गत एआई, ब्लॉकचेन और इमर्सिव लर्निंग तकनीकों का उपयोग होगा।
  • अगर तत्काल कदम नहीं उठाए गए, तो 2047 तक असंगठित श्रमिकों की औसत वार्षिक आय $6,000 पर अटक सकती है, जबकि विकसित राष्ट्र बनने के लिए $14,500 की प्रति व्यक्ति आय जरूरी मानी जाती है।
Originally written on October 10, 2025 and last modified on October 10, 2025.

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