भारत की समुद्री क्रांति: संसद से पारित पाँच प्रमुख विधेयकों का महत्व

भारत की संसद ने हाल ही में मानसून सत्र के दौरान पाँच महत्वपूर्ण समुद्री विधेयकों को पारित कर एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। ये विधेयक भारत की समुद्री अर्थव्यवस्था यानी “ब्लू इकोनॉमी” को सशक्त करने और “मैरीटाइम अमृत काल विजन 2047” को साकार करने की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल हैं। इस विधायी सुधार अभियान का नेतृत्व केंद्रीय बंदरगाह, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल और राज्य मंत्री श्री शंतनु ठाकुर ने किया है।
पारित हुए पाँच विधेयकों की विशेषताएँ
- बिल्स ऑफ लैडिंग विधेयक, 2025: यह विधेयक औपनिवेशिक कालीन कानून की जगह लेकर व्यापारिक दस्तावेजों को आधुनिक और मानकीकृत बनाता है। इससे व्यापारिक लॉजिस्टिक्स में दक्षता बढ़ेगी और भारत को वैश्विक नौवहन में प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिलेगा।
- मर्चेंट शिपिंग विधेयक, 2025: 1958 के पुराने कानून को बदलकर यह नया विधेयक समुद्री संचालन को आधुनिक बनाने के लिए वैश्विक मानकों के अनुरूप नीतियाँ प्रस्तुत करता है। इसमें जहाज़ों की सुरक्षा, समुद्री पर्यावरण संरक्षण और नाविकों के कल्याण पर विशेष बल दिया गया है।
- कैरेज ऑफ गुड्स बाय सी विधेयक, 2025: यह विधेयक 1925 के कानून को प्रतिस्थापित करता है और हैग-विशबी नियमों को अपनाकर दस्तावेजी प्रक्रिया को सरल और डिजिटल करता है, जिससे विवादों में कमी आएगी और अंतरराष्ट्रीय सहयोग मजबूत होगा।
- भारतीय बंदरगाह विधेयक, 2025: 1908 के पुराने कानून की जगह लेकर यह अधिनियम एकीकृत बंदरगाह प्रबंधन, पारदर्शिता, पर्यावरणीय सुरक्षा और राज्य स्तर पर अधिक अधिकार सुनिश्चित करता है। इसमें “मैरीटाइम स्टेट डेवलपमेंट काउंसिल” की स्थापना भी शामिल है।
- कोस्टल शिपिंग विधेयक, 2025: यह विधेयक भारत की तटीय नौवहन प्रणाली को पुनर्जीवित करने के लिए समर्पित है। इसका उद्देश्य घरेलू आपूर्ति श्रृंखला को सशक्त बनाना, सड़क यातायात और प्रदूषण को कम करना तथा रसद लागत में लगभग ₹10,000 करोड़ की बचत करना है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- भारत की समुद्री सीमा लगभग 7,500 किलोमीटर लंबी है, जिसमें 11 प्रमुख बंदरगाह और 200 से अधिक लघु बंदरगाह स्थित हैं।
- “सागरमाला परियोजना” का उद्देश्य भारत के बंदरगाहों को आर्थिक केंद्रों से जोड़कर लो-कार्बन ग्रीन ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देना है।
- हैग-विशबी नियम अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानूनों का हिस्सा हैं जो समुद्री मालवहन विवादों के समाधान में उपयोग होते हैं।
- भारत का कोस्टल शिपिंग मोडल शेयर मात्र 6% है, जिसे बढ़ाने का प्रयास इन विधेयकों से किया जा रहा है।
भारत की समुद्री शक्ति की दिशा में कदम
इन विधेयकों के माध्यम से भारत न केवल अपने पुराने, अप्रासंगिक कानूनों से मुक्ति पा रहा है, बल्कि वैश्विक मानकों के अनुरूप अपनी समुद्री नीतियों का आधुनिकीकरण भी कर रहा है। ये सुधार व्यापारिक प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और टिकाऊ बनाकर भारत को समुद्री महाशक्ति के रूप में उभारने की दिशा में मजबूत नींव तैयार करते हैं। इन विधानों के कार्यान्वयन से भारत की “ब्लू इकोनॉमी” में तीव्र गति से विकास की उम्मीद है, जो न केवल आर्थिक वृद्धि में सहायक होगी, बल्कि पर्यावरणीय सुरक्षा और राष्ट्रीय रणनीतिक हितों को भी सुदृढ़ करेगी।