भारत की विमानन सुरक्षा पर संसद की सख्त चेतावनी: तत्काल सुधार की आवश्यकता

AI 171 विमान हादसे की पृष्ठभूमि में संसद की स्थायी समिति (परिवहन, पर्यटन और संस्कृति) ने नागरिक उड्डयन क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था पर बेहद तीखी और स्पष्ट चेतावनी जारी की है। जदयू के सांसद संजय कुमार झा की अध्यक्षता वाली इस समिति ने अपनी 380वीं रिपोर्ट बुधवार को संसद में पेश की, जिसमें प्रणालीगत खामियों, नियामकीय ढांचे की कमजोरी, और दीर्घकालिक सुरक्षा जोखिमों को रेखांकित किया गया है।
DGCA की संरचनात्मक कमजोरी
रिपोर्ट का केंद्र बिंदु भारत की मुख्य विमानन नियामक संस्था DGCA (डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन) की भारी स्टाफिंग समस्या और सीमित स्वायत्तता है:
- 1,063 स्वीकृत पदों में से केवल 553 पद ही भरे गए हैं।
- 45% तकनीकी स्टाफ डिप्यूटेशन पर है, जिससे संस्थागत स्मृति और विशेषज्ञता का ह्रास हो रहा है।
- ICAO ऑडिट में भारत का प्रदर्शन वैश्विक औसत से नीचे है, जिससे भविष्य में अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध की आशंका है।
समिति ने DGCA को प्रशासनिक व वित्तीय स्वायत्तता देने और UPSC से स्वतंत्र भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की सिफारिश की है।
एयर ट्रैफिक कंट्रोल: थकावट और जोखिम
देश के व्यस्ततम हवाई अड्डों (दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद) में ATCOs (एयर ट्रैफिक कंट्रोल अधिकारी) अत्यधिक थकावट के साथ काम कर रहे हैं:
- कई जगह रात में सेक्टर मर्ज कर दिए जाते हैं, जिससे कुछ अधिकारियों पर पूरा भार पड़ता है।
- समिति ने इसे “संस्थागत थकावट” कहा और तुरंत सुधार की मांग की है।
- Fatigue Risk Management System (FRMS) लागू करने, ATC प्रशिक्षण क्षमता बढ़ाने और हर हवाई अड्डे पर स्टाफ ऑडिट कराने की सिफारिश की गई है।
3,747 सुरक्षा खामियां अब भी लंबित
DGCA की निष्क्रियता का आलम यह है कि अप्रैल 2025 तक 3,747 सुरक्षा त्रुटियाँ लंबित थीं, जिनमें से 37 ‘लेवल I’ हैं — जो तत्काल खतरा उत्पन्न करती हैं। समिति ने DGCA की कार्यप्रणाली को “प्रक्रियागत औपचारिकता” बताया और सुझाव दिया:
- गंभीर खामियों को 72 घंटे के भीतर दूर करने का प्रावधान।
- बार-बार उल्लंघन पर वित्तीय जुर्माना, लाइसेंस रद्द करना जैसे कड़े कदम।
- DGCA की निगरानी प्रणाली का स्वतंत्र ऑडिट।
हेलिकॉप्टर संचालन: असंगठित और खतरनाक
चारधाम यात्रा के दौरान हुई दुर्घटनाओं के बाद समिति ने हेलिकॉप्टर उड़ानों के नियमन को “अस्पष्ट और खतरनाक” कहा:
- कई उच्च जोखिम वाली सेवाएं राज्य एजेंसियों के अधीन हैं, पर DGCA की निगरानी सीमित है।
- समिति ने एकीकृत राष्ट्रीय नियामक ढांचा, पर्वतीय क्षेत्रों में पायलटों के लिए विशिष्ट प्रशिक्षण, और DGCA में विशेष निगरानी इकाई की सिफारिश की।
परिचालन जोखिम और सतत घटनाएं
- 2024 में रनवे अतिक्रमण दर 14.12 प्रति मिलियन मूवमेंट थी, जो कि लक्षित 9.78 से काफी अधिक है।
- AIRPROX (नज़दीकी टकराव) जैसी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।
- समिति ने हर घटना की रूट कॉज एनालिसिस और उच्च जोखिम वाले हवाई अड्डों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम, फॉग नेविगेशन और ILS सिस्टम की शीघ्र स्थापना की मांग की है।
रिपोर्टिंग संस्कृति और पारदर्शिता
- समिति ने चेताया कि दंडात्मक संस्कृति खुली रिपोर्टिंग को हतोत्साहित कर रही है।
- ATCOs पर ₹25 लाख तक जुर्माना लगाने के उदाहरण सामने आए हैं।
- “Just Culture” सिद्धांत अपनाने और कानूनी संरक्षित व्हिसलब्लोअर नीति बनाने की सिफारिश की गई है।
MRO पर विदेशी निर्भरता: रणनीतिक जोखिम
भारत का 85% MRO (Maintenance, Repair & Overhaul) कार्य विदेशों में होता है:
- हर साल भारतीय एयरलाइंस ₹15,000 करोड़ विदेशी सुविधाओं पर खर्च करती हैं।
- रिपोर्ट ने इसे रणनीतिक निर्भरता बताया है, जो वैश्विक संकटों में खतरा बन सकती है।
सुझाव:
- स्पेयर पार्ट्स पर GST और कस्टम ड्यूटी में छूट।
- घरेलू MRO हब के लिए प्रोत्साहन।
- राष्ट्रीय उड्डयन कौशल मिशन की स्थापना।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- AI 171 हादसा (2025) अहमदाबाद में हुआ एक प्रमुख विमान दुर्घटना है।
- ICAO (International Civil Aviation Organization) वैश्विक विमानन नियामक संस्था है।
- Char Dham Yatra में हेलिकॉप्टर सेवाओं का उपयोग तीव्र गति से बढ़ा है, लेकिन सुरक्षा निगरानी कमज़ोर है।
- Just Culture प्रणाली सुरक्षा रिपोर्टिंग में ईमानदार त्रुटियों और लापरवाही में भेद करती है।
यह रिपोर्ट केवल चेतावनी नहीं, बल्कि सुधार का खाका है। भारत जैसे तेजी से बढ़ते विमानन बाजार में सुरक्षा की अनदेखी, विनाशकारी परिणाम ला सकती है। अगर सरकार और नियामक संस्थाएं इन सिफारिशों को समयबद्ध तरीके से लागू करें, तो देश की उड़ान न केवल ऊंची होगी, बल्कि सुरक्षित भी।