भारत की पहली राष्ट्रीय आतंकवाद-रोधी नीति की तैयारी
भारत सरकार देश की पहली व्यापक राष्ट्रीय आतंकवाद-रोधी नीति को अंतिम रूप देने के चरण में है। इस नीति का उद्देश्य राज्यों के लिए एक समान ढांचा उपलब्ध कराना है, जिससे आतंकवादी घटनाओं की रोकथाम, उनसे निपटने और बाद की प्रतिक्रिया को अधिक प्रभावी बनाया जा सके। बदलते सुरक्षा परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए यह नीति डिजिटल कट्टरपंथ, खुली सीमाओं के दुरुपयोग और विदेशी फंडिंग से जुड़े धर्मांतरण नेटवर्क जैसी नई चुनौतियों पर विशेष ध्यान देगी।
गृह मंत्रालय और एनआईए की भूमिका
यह नीति गृह मंत्रालय द्वारा तैयार की जा रही है, जिसमें राष्ट्रीय जांच एजेंसी के महत्वपूर्ण इनपुट शामिल हैं। एनआईए ने इसमें अपने संचालन और खुफिया अनुभवों को साझा किया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पहले ही संकेत दे चुके हैं कि राष्ट्रीय आतंकवाद-रोधी नीति और रणनीति शीघ्र ही लागू की जाएगी।
प्रस्तावित नीति के प्रमुख फोकस क्षेत्र
नीति के तहत ऑनलाइन कट्टरपंथ, आधार स्पूफिंग, और विदेशी फंडिंग से संचालित धर्मांतरण रैकेट जैसे मुद्दों पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। इसके साथ ही नेपाल सीमा जैसी खुली सीमाओं के दुरुपयोग को भी प्राथमिक चिंता के रूप में चिन्हित किया गया है। अधिकारियों के अनुसार, इस नीति का लक्ष्य केंद्र और राज्य एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित कर आतंकवादी गतिविधियों को समय रहते रोकना है।
राज्यों और सुरक्षा एजेंसियों से परामर्श
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद एनआईए ने सभी राज्यों की आतंकवाद-रोधी इकाइयों के साथ बैठकें कीं। इन बैठकों में रोकथाम और त्वरित प्रतिक्रिया तंत्र पर चर्चा हुई। इस दौरान नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड के उपयोग पर भी जोर दिया गया, जो अधिकृत एजेंसियों को विभिन्न सरकारी और निजी डेटाबेस तक सुरक्षित पहुंच प्रदान करता है। हाल के महीनों में एनआईए महानिदेशक सदानंद दाते और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड प्रमुख बृघु श्रीनिवासन ने कई राज्यों के पुलिस प्रमुखों को उभरते आतंकी तौर-तरीकों से अवगत कराया है।
आगामी चर्चा और व्यापक संदर्भ
एनआईए 26 और 27 दिसंबर को दिल्ली में एक आतंकवाद-रोधी सम्मेलन आयोजित करने जा रही है, जहां नीति की व्यापक रूपरेखा हितधारकों के साथ साझा की जाएगी। यह पहल 2015 की वामपंथी उग्रवाद से निपटने की राष्ट्रीय नीति जैसी पूर्व पहलों की कड़ी में देखी जा रही है, जो बदलते खतरे के परिदृश्य के अनुरूप एक संगठित राष्ट्रीय दृष्टिकोण को दर्शाती है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- भारत की पहली राष्ट्रीय आतंकवाद-रोधी नीति गृह मंत्रालय द्वारा अंतिम रूप दी जा रही है।
- नीति निर्माण में राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने महत्वपूर्ण परिचालन इनपुट दिए हैं।
- डिजिटल कट्टरपंथ और खुली सीमाओं का दुरुपयोग प्रमुख चिंता के विषय हैं।
- नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड विभिन्न एजेंसियों के बीच खुफिया जानकारी साझा करने में सहायक है।
कुल मिलाकर, यह प्रस्तावित नीति भारत की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था को एक नई दिशा देने की क्षमता रखती है और आतंकवाद से निपटने के लिए एक सुसंगत, समन्वित और भविष्य-उन्मुख ढांचा स्थापित करने की दिशा में अहम कदम मानी जा रही है।