भारत की नदियों में प्रदूषण: 2023 में मामूली सुधार, लेकिन चुनौतियाँ बरकरार

भारत की नदियों में स्नान योग्य जल की स्थिति में वर्ष 2023 के दौरान मामूली सुधार दर्ज किया गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, नदियों के ऐसे स्थानों की संख्या जो स्नान के लिए अनुपयुक्त हैं, 2022 के 815 से घटकर 2023 में 807 रह गई है। हालांकि यह एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन समग्र तस्वीर अब भी गंभीर चिंता का विषय बनी हुई है।
जैविक ऑक्सीजन मांग (BOD): प्रदूषण का संकेतक
CPCB द्वारा दो वर्षीय चक्रों में नदियों के स्वास्थ्य का आकलन किया जाता है, जिसमें मुख्य मापदंड जैविक ऑक्सीजन मांग (Biological Oxygen Demand – BOD) होता है। BOD उस कार्बनिक पदार्थ की मात्रा का प्रतिनिधित्व करता है जो जल में घुला होता है।
- यदि BOD 3 मिलीग्राम/लीटर से अधिक हो, तो पानी को स्नान के लिए अनुपयुक्त माना जाता है।
- किसी नदी में दो लगातार स्थानों पर BOD सीमा से अधिक पाए जाने पर उस खंड को ‘प्रदूषित नदी खंड’ (Polluted River Stretch – PRS) कहा जाता है।
प्रमुख आँकड़े: 2023 बनाम 2022
- 2023 में PRS की संख्या: 296 स्थान/खंड, 271 नदियों में
- 2022 में PRS की संख्या: 311 स्थान/खंड, 279 नदियों में
इसमें सुधार तो है, लेकिन यह धीरे-धीरे हो रहा है। महाराष्ट्र 2023 में भी सबसे अधिक 54 प्रदूषित स्थानों के साथ शीर्ष पर रहा।
राज्यों की स्थिति
- सबसे अधिक PRS (2023): महाराष्ट्र (54), केरल (31), मध्य प्रदेश और मणिपुर (18), कर्नाटक (14)
- सबसे प्रदूषित श्रेणी ‘प्राथमिकता 1’ (BOD > 30 mg/L): तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड (प्रत्येक में 5 स्थान)
- 2022 में ‘प्राथमिकता 1’ स्थानों की संख्या: 45
- 2023 में यह घटकर: 37 रह गई
‘प्राथमिकता 1’ खंडों का कम होना एक राहत की बात है, क्योंकि ये क्षेत्र अत्यधिक प्रदूषण के कारण त्वरित पुनर्स्थापन की माँग करते हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- BOD (Biological Oxygen Demand) > 3 mg/L होने पर जल स्नान योग्य नहीं माना जाता।
- CPCB देशभर में 4,736 जल गुणवत्ता स्थानों की निगरानी करता है।
- ‘प्राथमिकता 1’ श्रेणी में BOD > 30 mg/L होता है — यह सबसे गंभीर प्रदूषण स्तर को दर्शाता है।
- 2023 में कुल 296 PRS/स्थानों की पहचान हुई, जो 271 नदियों में फैले हैं।