भारत की टैक्स नीति में पारदर्शिता की दिशा में कदम: विदेशी निवेशकों के लिए नया कार्यपत्र जारी

भारत जब अपने विजन 2047 की ओर अग्रसर है, तब एक पारदर्शी, पूर्वानुमेय और कुशल कर ढांचे का निर्माण दीर्घकालिक आर्थिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक बन गया है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए नीति आयोग (NITI Aayog) के कंसल्टेटिव ग्रुप ऑन टैक्स पॉलिसी (CGTP) ने कारोबार में सुगमता (Ease of Doing Business) को बढ़ावा देने, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आकर्षित करने, कर कानूनों को सरल बनाने और एक भविष्य-उन्मुख कर प्रणाली तैयार करने पर कार्य किया है।
नीति आयोग का पहला टैक्स पॉलिसी वर्किंग पेपर जारी
इसी दिशा में नीति आयोग ने NITI Tax Policy Working Paper Series–I के अंतर्गत पहला कार्यपत्र जारी किया है, जिसका शीर्षक है — “Enhancing Tax Certainty in Permanent Establishment and Profit Attribution for Foreign Investors in India”। यह कार्यपत्र विदेशी निवेशकों की कर-संबंधी अनिश्चितताओं और विवाद निपटान से जुड़ी समस्याओं को दूर करने पर केंद्रित है।
यह रिपोर्ट सहभागी शासन (Collaborative Governance) की भावना को प्रतिबिंबित करती है। इसे विभिन्न हितधारकों — जैसे कि सीबीडीटी (CBDT), डीपीआईआईटी (DPIIT), आईसीएआई (ICAI), सीबीसी (CBC), और निजी क्षेत्र के कर विशेषज्ञों — के परामर्श और सुझावों के आधार पर तैयार किया गया। नीति आयोग के सीईओ ने इस अवसर पर कहा कि पिछले दो दशकों में भारत में एफडीआई और एफपीआई प्रवाह में निरंतर वृद्धि हुई है, जो देश की मजबूत आर्थिक नींव और निवेश आकर्षण को दर्शाता है।
स्थायी कर ढांचे की आवश्यकता और निवेश वातावरण
विदेशी निवेशक अक्सर Permanent Establishment (PE) और Profit Attribution से संबंधित कर जटिलताओं का सामना करते हैं, जिससे कर विवाद और अनुपालन बोझ बढ़ जाता है। कार्यपत्र में कहा गया है कि कर पूर्वानुमेयता की कमी से निवेशकों का विश्वास प्रभावित होता है, जबकि एक स्थायी और स्पष्ट कर प्रणाली विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए आवश्यक है।
इसके बावजूद, भारत ने पिछले दो दशकों में उल्लेखनीय एफडीआई वृद्धि दर्ज की है। इसका कारण देश का विशाल उपभोक्ता बाजार, युवा जनसंख्या, सुधारों की निरंतरता और नीतिगत स्थिरता है। कार्यपत्र में स्पष्ट किया गया है कि यदि कर ढांचे में पूर्वानुमेयता लाई जाए तो भारत में निवेश और भी तेज़ी से बढ़ सकता है।
सुझाए गए सुधार और प्रस्तावित ढांचा
नीति आयोग के इस कार्यपत्र में विदेशी निवेशकों के लिए कर पारदर्शिता और स्थिरता सुनिश्चित करने हेतु एक व्यापक ढांचा प्रस्तुत किया गया है। प्रमुख सिफारिशें हैं —
- विदेशी कंपनियों के लिए वैकल्पिक उद्योग-विशिष्ट अनुमानित कर प्रणाली (Presumptive Taxation Scheme) लागू करना।
- कर कानूनों में विधायी स्पष्टता लाना।
- विवाद समाधान तंत्र को अधिक प्रभावी बनाना।
- अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप टैक्स ढांचे का सामंजस्य स्थापित करना।
यह बहुआयामी रणनीति न केवल कर विवादों में कमी लाएगी बल्कि निवेशकों का विश्वास बढ़ाएगी, कर प्रशासन को कुशल बनाएगी और दीर्घकालिक, गुणवत्तापूर्ण निवेश को आकर्षित करेगी। नीति आयोग ने सिफारिश की है कि वित्त मंत्रालय इन प्रस्तावों को उद्योग, विशेषज्ञों और अंतरराष्ट्रीय साझेदारों से परामर्श कर आगामी वित्त विधेयकों में शामिल करने पर विचार करे।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- नीति आयोग की स्थापना 1 जनवरी 2015 को योजना आयोग के स्थान पर की गई थी।
- एफडीआई (FDI) प्रत्यक्ष विदेशी निवेश होता है, जिसमें विदेशी कंपनियां भारत में दीर्घकालिक निवेश करती हैं।
- एफपीआई (FPI) पोर्टफोलियो निवेश होता है, जो शेयर बाजार और अल्पकालिक वित्तीय साधनों में किया जाता है।
- Permanent Establishment (PE) का अर्थ है किसी विदेशी कंपनी का भारत में स्थायी व्यापारिक उपस्थिति होना, जिससे कर दायित्व तय होता है।