भारत की क्रिप्टो नीति में संभावित बदलाव: स्टेबलकॉइन को लेकर वित्त मंत्री का बड़ा संकेत

भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर लंबे समय से चल रही बहस अब एक नए मोड़ पर आ गई है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संकेत दिया है कि भारत को वैश्विक आर्थिक बदलावों के अनुरूप स्टेबलकॉइन (Stablecoins) जैसे नवाचारों के साथ जुड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए, चाहे वह परिवर्तन स्वागतयोग्य हो या नहीं। उन्होंने यह टिप्पणी कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन में अपने उद्घाटन भाषण के दौरान की।
स्टेबलकॉइन: डिजिटल आर्थिक ढांचे में उभरता बदलाव
वित्त मंत्री ने कहा कि “स्टेबलकॉइन जैसे नवाचार मुद्रा और पूंजी प्रवाह के परिदृश्य को बदल रहे हैं। ये परिवर्तन देशों को मजबूर कर सकते हैं कि वे या तो इन नई मौद्रिक संरचनाओं को अपनाएं या फिर वैश्विक आर्थिक प्रणाली से अलग-थलग पड़ने का जोखिम उठाएं।”
स्टेबलकॉइन ऐसी क्रिप्टोकरेंसी होती हैं जिनका मूल्य किसी स्थिर परिसंपत्ति जैसे डॉलर, सोना या मुद्राओं की टोकरी से जुड़ा होता है, जिससे उनकी कीमत अपेक्षाकृत स्थिर बनी रहती है।
भारत की क्रिप्टो नीति: द्वंद्व और दिशा
भारत सरकार ने अब तक क्रिप्टो संपत्तियों को कानूनी रूप से मान्यता नहीं दी है, लेकिन इन पर कर लगाया जाता है। इन्हें वर्चुअल डिजिटल एसेट्स कहा जाता है और इनके लेन-देन पर 30% कर व 1% TDS लागू होता है।
दूसरी ओर, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने की सिफारिश की है और इसके साथ-साथ सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) के तहत डिजिटल रुपया का परीक्षण भी शुरू कर दिया है। CBDC एक केंद्रीय बैंक द्वारा जारी डिजिटल मुद्रा होती है जो वैधानिक भुगतान माध्यम (legal tender) मानी जाती है।
वैश्विक अस्थिरता के दौर में भारत की भूमिका
सीतारमण ने यह भी कहा कि “रणनीतिक प्रतिद्वंद्विता और युद्ध वैश्विक सहयोग की सीमाओं को फिर से परिभाषित कर रहे हैं। भारत को इन परिस्थितियों में अपनी रणनीतिक स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए सतत प्रदर्शन करना होगा।”
उन्होंने यह स्पष्ट किया कि वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में किसी भी देश के लिए परिवर्तन से स्वयं को अलग-थलग रखना संभव नहीं है। इसलिए, चाहे भारत इन परिवर्तनों का स्वागत करे या नहीं, उसे इनके साथ जुड़ने की तैयारी करनी होगी।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- स्टेबलकॉइन का उद्देश्य क्रिप्टो बाजार की अस्थिरता को कम करना होता है; इन्हें अमेरिकी डॉलर या सोने जैसी परिसंपत्तियों से जोड़ा जाता है।
- भारत ने 2022 के बजट में क्रिप्टो लेनदेन को कराधान के दायरे में लाया।
- CBDC (डिजिटल रुपया) को नवंबर 2022 में पायलट आधार पर लॉन्च किया गया था।
- RBI और केंद्र सरकार के बीच क्रिप्टो को लेकर दृष्टिकोण में अंतर रहा है — RBI प्रतिबंध चाहता है, जबकि सरकार वैश्विक रुझानों को समझने की दिशा में काम कर रही है।