भारत की एसडीजी रैंकिंग में सुधार: स्वास्थ्य लक्ष्य की दिशा में अगला कदम

वर्ष 2025 की सतत विकास लक्ष्य (SDG) रिपोर्ट में भारत ने 167 देशों में से 99वां स्थान प्राप्त किया — जो अब तक की उसकी सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग है। वर्ष 2024 में यह रैंक 109 थी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारत ने पिछले वर्षों में बुनियादी सेवाओं और अवसंरचना के क्षेत्र में ठोस प्रगति की है। हालांकि, यह रैंकिंग सुधार कुछ गंभीर चुनौतियों की ओर भी इशारा करती है, विशेष रूप से एसडीजी लक्ष्य 3 — “सभी उम्र के लोगों के लिए स्वास्थ्य और कल्याण सुनिश्चित करना” — जिसमें भारत की प्रगति असमान और धीमी रही है।
स्वास्थ्य और पोषण के क्षेत्र में भारत की स्थिति
भारत ने कई स्वास्थ्य संकेतकों में सुधार किया है, परंतु अभी भी वह अधिकांश लक्ष्यों की दिशा में “पथ से भटका हुआ” माना जा रहा है। कुछ मुख्य आँकड़े इस प्रकार हैं:
- मातृ मृत्यु दर (MMR): 97 प्रति 1 लाख जीवित जन्म, जबकि 2030 तक का लक्ष्य 70 है।
- पांच वर्ष से कम आयु की मृत्यु दर: 32 प्रति 1,000 जीवित जन्म, जबकि लक्ष्य 25 है।
- औसत आयु: 70 वर्ष, लक्ष्य 73.63 वर्ष है।
- स्वास्थ्य पर व्यक्तिगत खर्च: कुल खपत का 13%, जो लक्ष्य 7.83% से लगभग दोगुना है।
- टीकाकरण कवरेज: 93.23% तक पहुँच गया है, परंतु अभी भी सार्वभौमिक 100% से पीछे है।
इन लक्ष्यों में पीछे रहने के कारणों में कमजोर स्वास्थ्य अवसंरचना, आर्थिक असमानता, पोषण और स्वच्छता की कमी, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा कलंक और जागरूकता की कमी शामिल हैं। विशेषकर ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं पर्याप्त रूप से नहीं पहुँच पाई हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- भारत की SDG रैंकिंग 2024 में 109 थी, जो 2025 में सुधरकर 99 हो गई।
- SDG 3 का लक्ष्य सभी के लिए “स्वस्थ जीवन और कल्याण को बढ़ावा देना” है।
- भारत में मातृ मृत्यु दर 97 है, जबकि वैश्विक लक्ष्य 70 है।
- जापान और फिनलैंड जैसे देशों में स्कूल आधारित स्वास्थ्य शिक्षा ने लंबी आयु और बीमारियों में कमी लाने में मदद की है।