भारत की इथेनॉल मिश्रण नीति: उपलब्धियाँ, चुनौतियाँ और पर्यावरणीय चिंताएँ

भारत ने ईंधन में 20% इथेनॉल मिश्रण (E20 पेट्रोल) का लक्ष्य 2025 में हासिल कर लिया है—जो कि राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति के तहत तय समय से पांच साल पहले हुआ। हालांकि यह उपलब्धि कई दृष्टिकोणों से सराहनीय है, लेकिन इसके पर्यावरणीय प्रभाव, आर्थिक लागत, उपभोक्ता प्रतिक्रिया और दीर्घकालिक स्थिरता को लेकर गहन विश्लेषण की आवश्यकता है।
इथेनॉल मिश्रण से लाभ: लेकिन किसे?
सरकार के अनुसार, इथेनॉल मिश्रण से निम्नलिखित लाभ होते हैं:
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती
- किसानों की आमदनी में वृद्धि
- पेट्रोल आयात पर निर्भरता में कमी
2014 में 1.5% से बढ़कर 2025 में 20% तक पहुंचा मिश्रण, मुख्यतः गन्ना आधारित इथेनॉल उत्पादन और सरकार की वित्तीय प्रोत्साहन नीतियों की वजह से संभव हुआ। सरकार का दावा है कि 2014-15 से अब तक 1.4 लाख करोड़ रुपये का विदेशी मुद्रा बचत हुई है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- E20 पेट्रोल में 20% इथेनॉल और 80% पारंपरिक पेट्रोल होता है।
- इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य 2027 तक 20% था, जो 2025 में ही पूरा हो गया।
- उपयोग किए गए गन्ने का लगभग 9% हिस्सा इथेनॉल निर्माण में प्रयोग हो रहा है।
- केंद्र सरकार का अनुमान है कि इथेनॉल से अब तक 700 लाख टन CO₂ उत्सर्जन में कटौती हुई है।
उपभोक्ताओं की प्रतिक्रिया और व्यवहारिक चुनौतियाँ
E20 वाहनों की बिक्री 2023 से शुरू हुई और उनमें “E20” स्टिकर दिए गए हैं। पुराने वाहनों के लिए वाहन निर्माता नई तकनीकों के अनुरूप संशोधन कर रहे हैं। हालांकि, LocalCircles के एक सर्वेक्षण में पाया गया कि:
- दो में से एक पेट्रोल वाहन मालिक E20 के खिलाफ हैं।
- केवल 12% लोग इस बदलाव के पक्ष में हैं।
- उपभोक्ताओं ने माइलेज में गिरावट और मेंटेनेंस लागत बढ़ने की शिकायत की।
सरकार ने माइलेज में “मामूली गिरावट” को स्वीकार करते हुए कहा कि यह इंजिन ट्यूनिंग और ईंधन-संगत सामग्रियों से कम किया जा सकता है। नीति आयोग ने उपभोक्ताओं को कर छूट के माध्यम से मुआवजा देने की सिफारिश की है।
कृषि और पर्यावरणीय प्रभाव
भारत का इथेनॉल उत्पादन मुख्यतः गन्ने और मक्का पर आधारित है:
- गन्ना आधारित इथेनॉल 670 करोड़ लीटर तक पहुंच चुका है।
- गन्ना अत्यधिक जल-खपत वाली फसल है; एक टन गन्ना के लिए 60-70 टन पानी की आवश्यकता होती है।
- महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भूजल दोहन की मात्रा बहुत अधिक हो चुकी है, जिससे भूमि क्षरण और जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो रही है।
- भूमि क्षरण रिपोर्ट के अनुसार, भारत की लगभग 30% भूमि पहले से ही क्षतिग्रस्त है।
सरकार ने वैकल्पिक स्रोतों से इथेनॉल उत्पादन के लिए प्रयास शुरू किए हैं:
- FCI से 5.2 मिलियन टन चावल इथेनॉल उत्पादन के लिए आवंटित किया गया।
- 2024-25 में 34% मक्का उत्पादन इथेनॉल निर्माण में प्रयुक्त हुआ, जिससे भारत को मक्का आयात करना पड़ा।
ईवी और ऊर्जा संक्रमण पर प्रभाव
हालाँकि इथेनॉल मिश्रण से CO₂ उत्सर्जन घटाया जा सकता है, लेकिन परिवहन क्षेत्र का दीर्घकालिक डीकार्बोनाइज़ेशन इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) पर निर्भर करता है। भारत में EV बिक्री 2024 में कुल वाहनों का 7.6% थी। EV लक्ष्य (2030 तक 30%) को पाने के लिए अगले पांच वर्षों में 22% वार्षिक वृद्धि की आवश्यकता है।
लेकिन EV निर्माण के लिए ज़रूरी रेअर अर्थ एलिमेंट्स (REEs) की आपूर्ति में बाधा उत्पन्न हो रही है। चीन पर अत्यधिक निर्भरता के कारण आपूर्ति संकट का खतरा बना हुआ है। मारुति सुज़ुकी जैसी कंपनियाँ पहले ही EV उत्पादन लक्ष्य घटा चुकी हैं।