भारत का फ्यूज़न ऊर्जा रोडमैप: SST-भारत और 2060 तक ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा

गांधीनगर स्थित इंस्टीट्यूट फॉर प्लाज़्मा रिसर्च (IPR) के वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक महत्वाकांक्षी रोडमैप प्रस्तुत किया है, जिसका उद्देश्य भारत को भविष्य की स्वच्छ और सतत ऊर्जा — परमाणु फ्यूज़न — के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है। इस योजना के केंद्र में है SST-भारत (Steady-state Superconducting Tokamak-Bharat) नामक फ्यूज़न-फिशन हाइब्रिड रिएक्टर, जो भारत का पहला फ्यूज़न बिजली जनरेटर बनने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।
फ्यूज़न बनाम फिशन: क्यों है फ्यूज़न बेहतर?
परमाणु फ्यूज़न वह प्रक्रिया है जिसमें दो हल्के नाभिक आपस में मिलकर एक भारी नाभिक बनाते हैं, जिससे अत्यधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है। यही प्रक्रिया सूरज में होती है। जबकि पारंपरिक परमाणु ऊर्जा संयंत्र फिशन (विखंडन) पर आधारित होते हैं, जो रेडियोधर्मी कचरे की समस्या उत्पन्न करते हैं, फ्यूज़न अपेक्षाकृत अधिक सुरक्षित और स्वच्छ ऊर्जा का स्रोत है।
IPR के अनुसार, SST-भारत एक फ्यूज़न-फिशन संयोजन होगा, जिसमें कुल 130 मेगावॉट (MW) ऊर्जा में से 100 MW फिशन से और शेष फ्यूज़न से उत्पन्न होगी। इसका निर्माण खर्च लगभग ₹25,000 करोड़ अनुमानित है। लक्ष्य है कि यह रिएक्टर अपने इनपुट की तुलना में पांच गुना अधिक ऊर्जा उत्पन्न करे — जिसे ‘Q वैल्यू’ कहा जाता है।
भारत में फ्यूज़न अनुसंधान की वर्तमान स्थिति
वर्तमान में भारत के पास SST-1 नामक टोकामक है, जो एक अनुसंधान मशीन है। यह अब तक केवल 650 मिलीसेकंड तक प्लाज़्मा बनाए रखने में सफल रहा है, जबकि इसका डिज़ाइन अधिकतम 16 मिनट की क्षमता वाला है। इसके विपरीत, फ्रांस का WEST टोकामक हाल ही में 22 मिनट तक प्लाज़्मा बनाए रखने का रिकॉर्ड बना चुका है।
SST-भारत, SST-1 से आगे बढ़कर एक व्यावसायिक फ्यूज़न रिएक्टर की दिशा में कदम है। 2060 तक भारत एक पूर्ण क्षमता वाला 250 MW का डेमो रिएक्टर लॉन्च करने की योजना बना रहा है, जिसमें Q वैल्यू 20 तक पहुंचाने का लक्ष्य है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- SST-भारत के निर्माण की अनुमानित लागत ₹25,000 करोड़ है।
- फ्यूज़न में उपयोग होने वाली दो प्रमुख तकनीकें हैं: इनर्शियल कन्फाइनमेंट (लेज़र आधारित) और मैग्नेटिक कन्फाइनमेंट (टोकामक आधारित)।
- फ्यूज़न में तापमान 100 मिलियन डिग्री सेल्सियस तक पहुंचता है, जबकि सूर्य का कोर केवल 15 मिलियन डिग्री तक गर्म होता है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और ब्रिटेन 2030 के दशक में फ्यूज़न आधारित ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की दिशा में काम कर रहे हैं।