भारत का पहला राष्ट्रीय हथियार डेटाबेस: आंतरिक सुरक्षा में नया मोड़

भारत का पहला राष्ट्रीय हथियार डेटाबेस: आंतरिक सुरक्षा में नया मोड़

भारत ने अपने आंतरिक सुरक्षा ढांचे को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। केंद्र सरकार ने देश का पहला राष्ट्रीय हथियार डेटाबेस “लॉस्ट, लूटे और बरामद किए गए शस्त्र” (Lost, Looted and Recovered Firearm) लॉन्च किया है, जिसका उद्देश्य आतंकवाद, संगठित अपराध और उग्रवाद को रोकने में मदद करना है। यह पहल न केवल अवैध तौर पर घुसपैठ किए सरकारी स्वामित्व वाले हथियारों का प्रभावी पता लगाने और मॉनिटरिंग करने में सहायता करेगी, बल्कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल और जानकारी का त्वरित आदान-प्रदान सुनिश्चित करेगी।

भारत सरकार ने इस पहल को पहली बार Anti-Terror Conference 2025 के उद्घाटन सत्र में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा देश को समर्पित किया। यह दो दिवसीय वार्षिक सम्मेलन राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा आयोजित किया गया, जिसने गृह मंत्रालय के तहत इस डेटाबेस का विकास किया। इसे देश के लिए समर्पित करना आतंकवाद-विरोधी ढांचे के आधुनिकीकरण के प्रयासों का एक प्रमुख भाग है।

#### राष्ट्रीय हथियार डेटाबेस क्या है?

“लॉस्ट, लूटे और बरामद किए गए शस्त्र” डेटाबेस में उन सभी सरकारी स्वामित्व वाले हथियारों का विस्तृत रिकॉर्ड रखा जाता है जो खो गए, लूटे गए, चोरी किए गए या बाद में बरामद किए गए हैं। इस डेटाबेस में शामिल हथियारों के स्रोत में राज्य पुलिस बलों, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और अन्य संवैधानिक सुरक्षा दलों के रिकॉर्ड शामिल हैं। डेटाबेस का डिजिटलीकरण एक खास इंटरफेस के माध्यम से किया गया है जिसे NIA होस्ट करता है। यह इंटरफेस अधिकृत उपयोगकर्ताओं के लिए रीयल-टाइम अपडेट की सुविधा देता है और सुरक्षित पहुंच सुनिश्चित करता है।

इस डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए जानकारी को राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के बीच तुरन्त साझा किया जा सकता है, जिससे पता लगाने और कार्रवाई करने में लगने वाला समय काफी कम हो जाता है। यह प्रणाली विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर, उत्तर-पूर्वी राज्य और नक्सल प्रभावित इलाकों के लिए भी उपयोगी है, जहां हथियारों की तस्करी और उग्र गतिविधियों की संभावना अधिक रहती है।

#### क्यों है यह डेटाबेस महत्वपूर्ण?

सरकार के अधिकारियों के मुताबिक, यह डेटाबेस अपराधियों और आतंकवादियों के खिलाफ अभियानों को दिशा देने में सहायक साबित होगा। अक्सर वे हथियार जो सरकारी भंडार से गायब हो जाते हैं, वे विभिन्न उग्रवादी समूहों, नक्सलियों या संगठित अपराधियों के हाथों में पहुँच जाते हैं। ऐसे हथियारों का पता लगाना और उनका पुनः कब्जा करना चुनौतीपूर्ण रहा है। अब केंद्रीय संग्रहीत जानकारी से हथियारों की उत्पत्ति, गतिशीलता और बरामदगी का पैटर्न समझना आसान होगा, जिससे जांच तेज और अधिक सटीक हो सकेगी।

इसके अलावा, यह पहल गृह मंत्रालय की उस व्यापक रणनीति का हिस्सा है जिसमें तकनीकी समाधान, इंटर-स्टेट समन्वय और इंटेलिजेंस-आधारित पुलिसिंग को प्राथमिकता दी जा रही है। इससे सुरक्षा एजेंसियों की तैयारी, प्रतिक्रिया और सामूहिक कार्रवाई की क्षमता में सुधार होगा। इस तरह के तकनीकी उपकरण से केवल कानून लागू करने वाली एजेंसियों को ही फायदा नहीं होगा, बल्कि आम नागरिकों के लिए भी सुरक्षा का स्तर बेहतर होगा।

#### खबर से जुड़े जीके तथ्य

* यह भारत का पहला राष्ट्रीय हथियार डेटाबेस है जिसे “लॉस्ट, लूटे और बरामद किए गए शस्त्र” नाम से लॉन्च किया गया है।
* इस डेटाबेस का विकास और संचालन राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा किया गया है।
* डेटाबेस में केवल सरकारी स्वामित्व वाले हथियारों का रिकॉर्ड शामिल किया जाता है।
* इसे Anti-Terror Conference 2025 में औपचारिक रूप से लॉन्च किया गया।

इस राष्ट्रीय हथियार डेटाबेस की शुरूआत से भारत की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था को एक नई दिशा मिली है। यह पहल केवल आधुनिक तकनीक का उपयोग नहीं है, बल्कि यह सुरक्षा एजेंसियों के बीच सहयोग और तेज सूचना विनिमय की क्षमता को भी बढ़ाती है। भारतीय आंतरिक सुरक्षा ढांचे की मजबूती के लिए यह कदम एक योगदायक और दूरदर्शी प्रयास माना जा रहा है।

Originally written on December 27, 2025 and last modified on December 27, 2025.

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