भारत का दूसरा सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व बना सुंदरबन: क्षेत्र विस्तार को NBWL की मंज़ूरी

पश्चिम बंगाल का विश्वप्रसिद्ध मैंग्रोव वन क्षेत्र सुंदरबन अब भारत का दूसरा सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व बन गया है। 19 अगस्त 2025 को राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL) की स्थायी समिति ने पश्चिम बंगाल सरकार के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी, जिसके तहत सुंदरबन टाइगर रिजर्व (STR) के क्षेत्रफल में 1,044.68 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि की गई। अब इसका कुल क्षेत्रफल 3,629.57 वर्ग किलोमीटर हो गया है, जो आंध्र प्रदेश के नागार्जुनसागर-श्रीशैलम टाइगर रिजर्व (3,727.82 वर्ग किमी) के बाद दूसरे स्थान पर है।

टाइगर रिजर्व विस्तार की पृष्ठभूमि और प्रक्रिया

इस विस्तार में दक्षिण 24 परगना जिले की तीन टाइगर-अनुकूल वन रेंज — माटला, रैदिघी और रामगंगा — को सुंदरबन टाइगर रिजर्व में जोड़ा गया है। यह प्रस्ताव लगभग दो दशकों से लंबित था और इसे 2005-06 में पहली बार केंद्र सरकार के पास भेजा गया था। 2022-23 में सुंदर्बन बायोस्फीयर रिजर्व के निदेशक नीलांजन मुल्लिक के नेतृत्व में गठित समिति ने इस विस्तार की सिफारिश की थी।
2024 में राज्य वन्यजीव बोर्ड से मंज़ूरी मिलने के बाद इसे राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने समर्थन दिया और अंततः NBWL द्वारा भी इसे स्वीकृति प्रदान की गई।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • भारत में वर्तमान में 58 टाइगर रिजर्व हैं, जिनमें सुंदरबन अब दूसरे सबसे बड़े रिजर्व के रूप में दर्ज हुआ है।
  • सुंदरबन दुनिया का सबसे बड़ा मैंग्रोव वन क्षेत्र है और एकमात्र मैंग्रोव आवास है जहां बाघ प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं।
  • नागार्जुनसागर-श्रीशैलम टाइगर रिजर्व आंध्र प्रदेश में स्थित है और इसका क्षेत्रफल 3,727.82 वर्ग किमी है।
  • सुंदरबन में 101 बाघों का अनुमानित आंकड़ा है — 80 मौजूदा STR में और 21 नए जोड़े गए क्षेत्रों में।

स्थानीय विकास बनाम आजीविका का संघर्ष

विस्तार को वन्यजीव विशेषज्ञों और संरक्षणवादियों ने एक सकारात्मक कदम बताया है। उनका मानना है कि इससे न केवल बाघों के संरक्षण को बल मिलेगा, बल्कि केंद्र सरकार से अधिक वित्तीय सहायता, पर्यटन विकास, और प्रशासनिक दक्षता भी सुनिश्चित होगी।
हालांकि, मत्स्यजीवी समुदाय से जुड़े संगठनों ने इस निर्णय पर आपत्ति जताई है। डक्शिनबंगा मत्स्यजीवी फोरम ने आरोप लगाया कि स्थानीय समुदायों को बिना परामर्श के इस निर्णय में शामिल नहीं किया गया। उनका मानना है कि इससे उनकी आजीविका पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
वन विभाग ने स्पष्ट किया है कि जो क्षेत्र जोड़े गए हैं वे बफर ज़ोन हैं, और मछुआरे अपनी पारंपरिक गतिविधियाँ पहले की तरह जारी रख सकेंगे।

समापन

सुंदरबन टाइगर रिजर्व का यह ऐतिहासिक विस्तार न केवल क्षेत्रफल की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह संरक्षण के दृष्टिकोण से भी भारत की एक बड़ी उपलब्धि है। इससे राष्ट्रीय बाघ संरक्षण दिशा-निर्देशों के प्रभावी क्रियान्वयन में सहायता मिलेगी और एकीकृत प्रशासनिक ढांचे के तहत टाइगर प्रबंधन बेहतर हो सकेगा। आने वाले वर्षों में यह निर्णय सुंदरबन के पारिस्थितिकी तंत्र और स्थानीय समुदायों के लिए स्थायी विकास का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

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