भारत-कतर एनर्जी टास्क फोर्स का गठन किया जायेगा

भारत-कतर एनर्जी टास्क फोर्स का गठन किया जायेगा

पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और साद शेरिदा अल-काबी द्वारा एक टेलीफोन कॉल के बाद घोषणा की गई थी कि भारत और कतर ऊर्जा पर एक कार्यबल का गठन करेंगे।

मुख्य बिंदु

इसके द्वारा भारत में संपूर्ण ऊर्जा मूल्य श्रृंखला में कतर के निवेश को बढ़ावा दिया जायेगा। इस वार्तालाप के दौरान दोनों पक्ष ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने पर भी सहमत हुए। दोनों देश क्रेता-विक्रेता संबंध से परे व्यापकता की ओर बढ़ना के लिए इच्छुक हैं। इस सहयोग में दो-तरफा निवेश भी शामिल है।

उर्जा पर इस टास्क फ़ोर्स का प्रतिनिधित्व कतर पेट्रोलियम के उपाध्यक्ष और पेट्रोलियम मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा किया जाएगा। यह टास्क फोर्स कतर से निवेश के लिए भारत के ऊर्जा क्षेत्र में विशिष्ट परियोजनाओं की पहचान करेगी।

भारत-कतर संबंध

भारत और कतर के बीच राजनयिक संबंध वर्ष 1973 में स्थापित किए गए थे। तब से दोनों देशों के बीच सम्बन्ध काफी अच्छे रहे हैं। दोनों देश एक सामान्य विकासात्मक और सांस्कृतिक मूल्यों को साझा करते हैं। कतर का पहला राजनयिक दौरा प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने नवंबर 2008 में किया था। उस यात्रा के दौरान, देशों के बीच एक समुद्री रक्षा समझौते को मंजूरी दी गई थी।

हालिया सहयोग

मार्च 2015 में जब एमिर तमीम बिन हमद अल-थानी ने भारत की यात्रा की, तो कई क्षेत्रों में सहयोग के लिए पांच समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए थे। भारत और क़तर ने कैदी प्रत्यावर्तन पर भी समझौता किया है। इस समझौते के अनुसार, भारत या क़तर के सजायाफ्ता नागरिकों को उनकी जेल की सजा के शेष वर्षों को बिताने के लिए उनके मूल देश में प्रत्यर्पित किया जा सकता है।

भारत-कतर ऊर्जा सहयोग

कतर ने 2008 में भारत के ऊर्जा क्षेत्र में 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश करने पर सहमति व्यक्त की थी। ओमान के माध्यम से, कतर से भारत तक समुद्र के भीतर से गैस पाइपलाइन बनाने का भी प्रस्ताव है।

Originally written on December 12, 2020 and last modified on December 12, 2020.

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