भारत और अफगानिस्तान के बीच फिर शुरू होगी हवाई कार्गो सेवा: व्यापार को नई गति

भारत और अफगानिस्तान के बीच फिर शुरू होगी हवाई कार्गो सेवा: व्यापार को नई गति

भारत ने अफगानिस्तान के साथ प्रत्यक्ष हवाई मालवाहक (एयर कार्गो) संपर्क को पुनर्जीवित करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। यह कदम काबुल की जटिल राजनीतिक परिस्थिति के बावजूद भारत द्वारा नियंत्रित और संतुलित आर्थिक जुड़ाव को दर्शाता है। इस निर्णय की घोषणा अफगानिस्तान के तालिबान व्यापार मंत्री अल-हाज नूरुद्दीन अज़ीज़ी की नई दिल्ली यात्रा के दौरान हुई, जिससे 2021 के बाद बाधित द्विपक्षीय व्यापार को फिर से गति देने की कोशिश की जा रही है।

मुख्य एयर फ्रेट कॉरिडोरों का पुनः सक्रियण

भारत ने काबुल–दिल्ली और काबुल–अमृतसर एयर फ्रेट कॉरिडोरों को फिर से सक्रिय कर दिया है। अधिकारियों के अनुसार, तकनीकी और लॉजिस्टिक तैयारियाँ पूरी हो चुकी हैं और जल्द ही कार्गो उड़ानें शुरू होंगी। इन मार्गों के पुनरारंभ से अफगान कृषि उत्पादों जैसे सूखे मेवे, केसर और जड़ी-बूटियाँ को भारतीय बाजारों तक तेजी से पहुँचने में मदद मिलेगी, जबकि भारतीय निर्यातक दवाइयाँ, मशीनरी और वस्त्र जैसी वस्तुएँ अधिक कुशलता से भेज सकेंगे।

अफगान व्यापारिक रणनीति का नया केंद्र

अज़ीज़ी की पांच दिवसीय भारत यात्रा का मुख्य उद्देश्य कृषि व्यापार को बढ़ाना, बाजार पहुँच में सुधार करना और पाकिस्तान पर निर्भरता को कम करना है। काबुल भारत के साथ अपने फलों, मेवों और हर्बल उत्पादों के निर्यात को बढ़ाना चाहता है, वहीं वह भारतीय दवाओं और औद्योगिक वस्तुओं के आयात को भी प्रोत्साहित कर रहा है। दोनों देशों के बीच वार्ता में ईरान के चाबहार बंदरगाह के माध्यम से मल्टीमॉडल ट्रांज़िट विकल्पों को मजबूत करने पर भी चर्चा हुई है, जिससे व्यापार मार्गों में विविधता लाई जा सके।

वित्तीय और लॉजिस्टिक चुनौतियाँ

अफगानिस्तान के SWIFT नेटवर्क से बाहर होने के कारण भुगतान चैनलों की बहाली पर दोनों पक्ष विचार कर रहे हैं। पुरानी भारत–अफगानिस्तान एयर फ्रेट कॉरिडोर प्रणाली को पुनर्जीवित करने का उद्देश्य व्यापार को स्थिर और पूर्वानुमेय बनाना है। अफगान अधिकारियों का कहना है कि बार-बार बाधित होने वाले जमीनी व्यापार की तुलना में हवाई संपर्क अधिक विश्वसनीय और स्थायी विकल्प प्रदान करता है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • काबुल–दिल्ली एयर फ्रेट कॉरिडोर 2017 में पहली बार शुरू हुआ था।
  • अफगानिस्तान के मुख्य निर्यात में सूखे मेवे, केसर और औषधीय जड़ी-बूटियाँ शामिल हैं।
  • चाबहार बंदरगाह अफगानिस्तान को पाकिस्तान से स्वतंत्र समुद्री पहुँच प्रदान करता है।
  • भारत ने 2022 के बाद भी काबुल में तकनीकी मिशन के रूप में अपनी उपस्थिति बनाए रखी है।

क्षेत्रीय तनाव और व्यापार पर प्रभाव

इस पुनरारंभ का समय महत्वपूर्ण है क्योंकि पाकिस्तान–अफगानिस्तान सीमा पर तनाव और बार-बार होने वाले पारगमन अवरोधों ने अफगान व्यापारियों को भारी नुकसान पहुँचाया है, विशेषकर नाशवान वस्तुओं के व्यापार में। ऐसे माहौल में भारत द्वारा एयर कार्गो मार्गों की पुनः सक्रियता न केवल काबुल को वैकल्पिक व्यापार चैनल उपलब्ध कराती है, बल्कि यह दक्षिण एशिया में भारत की आर्थिक और कूटनीतिक भूमिका को भी मजबूत करती है।

Originally written on November 24, 2025 and last modified on November 24, 2025.

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