भारत-अमेरिका व्यापार तनाव और रूसी तेल पर टकराव: पृष्ठभूमि और संभावित रास्ते

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 6 अगस्त को भारत पर 25% दंडात्मक टैरिफ लगाने की घोषणा की, जो भारत द्वारा रूसी तेल आयात करने के जवाब में था। यह कदम 31 जुलाई को घोषित 25% पारस्परिक टैरिफ के अतिरिक्त है, जिसे दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की वार्ता विफल होने के बाद लागू किया गया। इस फैसले ने भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों और रणनीतिक साझेदारी को गंभीर चुनौती दी है।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत ने अब तक अमेरिका के टैरिफ के खिलाफ कोई प्रत्यक्ष प्रतिशोधात्मक कदम नहीं उठाया है। 25% पारस्परिक टैरिफ 7 अगस्त से लागू हो चुके हैं और इनके असर का आकलन आने वाले हफ्तों में होगा।
- 4 अगस्त को विदेश मंत्रालय ने अमेरिका और यूरोपीय संघ की आलोचना की, यह कहते हुए कि वे खुद रूस के साथ व्यापार जारी रखते हुए भारत को निशाना बना रहे हैं।
- 6 अगस्त को विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी कार्रवाई को “अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण, अनुचित और असंगत” बताते हुए भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा का संकल्प जताया।
- 7 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों, मछुआरों और पशुपालकों के हितों की रक्षा के लिए “व्यक्तिगत रूप से कीमत चुकाने” की बात कही, जिससे यह संकेत मिला कि कृषि क्षेत्र में बाजार पहुंच पर वार्ता टूट चुकी है।
टैरिफ रोकने की संभावना
ट्रंप 15 अगस्त को अलास्का में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलने वाले हैं। अगर इस बैठक में यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने का कोई समझौता होता है, तो रूसी तेल पर लगाए गए दंडात्मक टैरिफ हटने की संभावना बन सकती है। इसके अलावा, 25 अगस्त को अमेरिकी एफटीए वार्ताकार दिल्ली का दौरा करेंगे, और यदि भारत कुछ व्यापारिक रियायतें देता है, तो टैरिफ में कमी संभव है।
भारत-रूस ऊर्जा संबंध
यूक्रेन युद्ध से पहले भारत का रूसी तेल आयात नगण्य था, लेकिन यूरोपीय प्रतिबंधों के बाद रूस से मिलने वाला “यूरल” कच्चा तेल सस्ता हुआ, और मई 2023 तक भारत का 35-40% तेल रूस से आने लगा।
- भारतीय पीएसयू ने रूस के वैंकोरनेफ्ट और तास-यूरयाख परियोजनाओं में 5 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया।
- रूस की रोसनेफ्ट ने एस्सार ऑयल में 49% हिस्सेदारी लेकर गुजरात के वडिनार रिफाइनरी में प्रवेश किया।
- इस व्यापार से भारत ने 2024 तक लगभग 13 अरब डॉलर और 2025 में 3.8 अरब डॉलर की बचत की।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- यूरल क्रूड ऑयल “हैवी” ग्रेड का तेल है, जिसकी प्रोसेसिंग के लिए विशेष रिफाइनिंग तकनीक की आवश्यकता होती है।
- भारत के तेल आयात में रूस, इराक, सऊदी अरब, UAE और अमेरिका शीर्ष आपूर्तिकर्ता हैं।
- अमेरिका ने 2018-19 में भी भारत से ईरान और वेनेजुएला से तेल आयात रोकने की मांग की थी, जिस पर भारत ने अंततः सहमति दी थी।
- भारत-अमेरिका संबंधों में परमाणु समझौता (2008) और क्वाड जैसी पहलें सामरिक साझेदारी के मुख्य स्तंभ हैं।
भविष्य की विदेश नीति पर असर
यह विवाद न केवल व्यापार बल्कि रक्षा, तकनीकी सहयोग और सामरिक संतुलन पर भी असर डाल सकता है। भारत अपनी “रणनीतिक स्वायत्तता” बनाए रखने के लिए रूस, चीन और जापान के साथ उच्च-स्तरीय कूटनीतिक बैठकें कर रहा है। नवंबर में प्रस्तावित क्वाड शिखर सम्मेलन से पहले प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच संबंधों की बहाली महत्वपूर्ण होगी।
भारत के सामने फिलहाल दो कठिन विकल्प हैं — अमेरिकी बाजार पहुंच की शर्तें मानना या रूसी तेल पर निर्भरता घटाना। दोनों ही विकल्प आर्थिक और राजनीतिक दृष्टि से जटिल हैं, और आने वाले हफ्ते इस गतिरोध का रुख तय करेंगे।