भारत-अमेरिका कृषि व्यापार: रणनीतिक रियायतों और सुधारों की राह

भारत और अमेरिका के बीच चल रही द्विपक्षीय व्यापार वार्ताओं के बीच नीति आयोग के एक कार्यपत्र ने सुझाव दिया है कि भारत को कृषि क्षेत्र में प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के साथ-साथ अमेरिकी कृषि उत्पादों पर कुछ सीमा शुल्कों में छूट देकर व्यापारिक संतुलन साधना चाहिए। यह ‘गिव एंड टेक’ दृष्टिकोण भारत के किसानों की रक्षा करते हुए अमेरिका के साथ मजबूत व्यापार संबंध बनाए रखने में मदद कर सकता है।

अल्पकालिक रियायतें: किस पर छूट और क्यों?

नीति आयोग के वरिष्ठ सलाहकार राका सक्सेना और सदस्य रमेश चंद द्वारा तैयार इस पेपर के अनुसार:

  • सेब, बादाम और पिस्ता जैसे गैर-संवेदनशील कृषि उत्पादों पर भारत को सीमित सीमा शुल्क रियायत देनी चाहिए, क्योंकि इनका घरेलू उत्पादन या तो सीमित है या ये अलग गुणवत्ता और मौसम के कारण घरेलू उत्पादों से प्रतिस्पर्धा नहीं करते।
  • वर्तमान में, अमेरिका से आयातित सेब पर 50% और बादाम-पिस्ता पर 30% आयात शुल्क है।
  • भारत खाद्य तेल और नट्स जैसे उत्पादों में घरेलू आपूर्ति की कमी को ध्यान में रखकर समझदारी से रियायतें दे सकता है।

दीर्घकालिक सुधार: वैश्विक प्रतिस्पर्धा की तैयारी

भारत को अपने कृषि क्षेत्र में निम्नलिखित संरचनात्मक सुधार करने की आवश्यकता है:

  • उत्पादकता अंतर को पाटने के लिए तकनीकी अपनाने और बाजार सुधारों को बढ़ावा देना।
  • निजी क्षेत्र की भागीदारी, लॉजिस्टिक्स में सुधार और मूल्य श्रृंखला विकास को प्राथमिकता देना।
  • राज्यों के साथ मिलकर कृषि निर्यातों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए संस्थागत सुधार लागू करना।

‘प्रतिस्पर्धी टैरिफ’ का खतरा: भारत को कैसे नुकसान?

  • झींगा मछली: अमेरिका को भारत का सबसे बड़ा निर्यात है (40% बाजार हिस्सेदारी)। पहले यह शून्य शुल्क पर निर्यात होता था, लेकिन अब 26% टैरिफ का खतरा है। जबकि इक्वाडोर और अर्जेंटीना जैसे देश केवल 10% शुल्क पर निर्यात कर रहे हैं।
  • चावल: भारत अमेरिका को दूसरा सबसे बड़ा चावल निर्यातक है। प्रस्तावित टैरिफ वृद्धि 0.6% से बढ़कर 26% हो सकती है, जिससे प्रतिस्पर्धा प्रभावित होगी।

रणनीतिक हस्तक्षेप के सात प्रमुख सुझाव

  1. संरचनात्मक प्रतिस्पर्धात्मकता का निर्माण
  2. खाद्य तेल और मक्का में रणनीतिक आयात प्रतिस्थापन
  3. पोल्ट्री और डेयरी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों की रक्षा के लिए गैर-टैरिफ उपाय
  4. बाजार सुधार और निर्यात सुगमता
  5. अमेरिकी सेब, बादाम और पिस्ता पर सीमित टैरिफ समायोजन
  6. शक्ति संपन्न उत्पादों के लिए पारस्परिक शुल्क छूट
  7. एग्री ट्रेड इंटेलिजेंस सेल की स्थापना, जो वैश्विक व्यापार रुझानों, कीमतों और आपूर्ति स्थितियों की निगरानी करेगा

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • भारत अमेरिका को $409 मिलियन मूल्य का चावल 2024 में निर्यात कर चुका है।
  • अमेरिका भारत से सबसे अधिक फ्रोजन झींगा आयात करता है (40% बाजार हिस्सा)।
  • भारत के कृषि आयातों में बादाम, पिस्ता और सेब प्रमुख हैं, जो कुल आयात का 75% हैं।
  • नीति आयोग का सुझाव: सीमित टैरिफ रियायत के साथ घरेलू किसानों की सुरक्षा व दीर्घकालिक प्रतिस्पर्धात्मकता जरूरी है।
  • भारत के कृषि निर्यात का लक्ष्य: अगले 5 वर्षों में $7-8 बिलियन से दोगुना करना।

नीति आयोग का यह पेपर स्पष्ट करता है कि भारत को अमेरिका के साथ कृषि व्यापार संतुलन बनाए रखने के लिए व्यावहारिक, संतुलित और रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाना होगा। न केवल आयात-निर्यात नीति में सुधार की जरूरत है, बल्कि घरेलू स्तर पर कृषि क्षेत्र में बुनियादी ढांचागत और नीतिगत सुधारों के बिना भारत वैश्विक खाद्य शक्ति बनने का सपना नहीं साकार कर सकता।

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