भारत-अफगानिस्तान संबंधों में नया मोड़: तालिबान का पहला राजनयिक प्रतिनिधि नई दिल्ली में

भारत-अफगानिस्तान संबंधों में नया मोड़: तालिबान का पहला राजनयिक प्रतिनिधि नई दिल्ली में

अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के सत्ता में आने के बाद पहली बार भारत में उसका आधिकारिक प्रतिनिधि नियुक्त होने जा रहा है। अगस्त 2021 के बाद यह तालिबान की ओर से भारत के साथ संबंध सामान्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक कदम माना जा रहा है। हाल ही में तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी की नई दिल्ली यात्रा ने इस प्रक्रिया को गति दी है।

द्विपक्षीय संवाद की पुनः शुरुआत

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, काबुल ने भारत को सूचित किया है कि वह वर्ष 2025 के अंत तक नई दिल्ली में एक तालिबानी राजनयिक को नियुक्त करेगा, और 2026 की शुरुआत में एक और नियुक्ति संभव है। यह पहली बार होगा जब तालिबान शासन का कोई प्रतिनिधि भारत में औपचारिक रूप से तैनात होगा। यह निर्णय दोनों देशों के बीच पिछले एक वर्ष में धीरे-धीरे सुधरते संबंधों का परिणाम है। अक्टूबर 2025 में अमीर खान मुत्ताकी की उच्चस्तरीय भारत यात्रा के दौरान दोनों पक्षों ने आपसी समन्वय को बढ़ाने पर सहमति जताई।

भारत की मानवीय सहायता और निरंतर सहयोग

हालांकि भारत ने अब तक तालिबान सरकार को आधिकारिक मान्यता नहीं दी है, फिर भी उसने अफगान जनता की सहायता जारी रखने की प्रतिबद्धता दोहराई है। भारत ने 16 टन से अधिक रोग निवारण दवाइयों की आपूर्ति सहित चिकित्सा और मानवीय सहायता कार्यक्रमों को विस्तार देने का वादा किया है। तालिबान ने भारत को “विश्वसनीय भागीदार” की संज्ञा देते हुए, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे और विकास क्षेत्रों में उसकी दीर्घकालिक सहायता की सराहना की।

मुत्ताकी की यात्रा और रणनीतिक महत्व

अमीर खान मुत्ताकी की नई दिल्ली यात्रा क्षेत्रीय कूटनीति में एक नया मोड़ थी। भारत ने काबुल स्थित अपने तकनीकी मिशन को दूतावास स्तर पर अपग्रेड करने की घोषणा की और तालिबान के मान्यताप्राप्त राजनयिकों को स्वीकार करने का फैसला किया। इस दौरान दोनों देशों ने एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति सम्मान व्यक्त किया, जिसमें तालिबान द्वारा भारत के जम्मू-कश्मीर पर रुख को समर्थन भी शामिल था। यह सहयोग ऐसे समय पर हो रहा है जब तालिबान और पाकिस्तान के बीच सीमा विवाद और तनाव बढ़ते जा रहे हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • तालिबान, 2021 में सत्ता में आने के बाद पहली बार भारत में अपना राजनयिक नियुक्त करेगा।
  • अफगान कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी अक्टूबर 2025 में भारत आए।
  • भारत ने 16 टन रोग नियंत्रण दवाइयों सहित मानवीय सहायता जारी रखने का वादा किया।
  • दोनों देशों द्वारा अपने-अपने मिशनों में चार्ज डी अफेयर्स नियुक्त किए जाएंगे।
  • तालिबान ने भारत की संप्रभुता और जम्मू-कश्मीर पर उसके रुख का समर्थन किया।

क्षेत्रीय समीकरण और भविष्य की दिशा

तालिबान द्वारा भारत में राजनयिक नियुक्ति का निर्णय दक्षिण एशिया की राजनीति में व्यावहारिकता की ओर इशारा करता है। पाकिस्तान से बिगड़ते रिश्तों के बीच काबुल के लिए नई दिल्ली से संवाद संतुलन स्थापित करने की रणनीति है। वहीं भारत के लिए अफगानिस्तान में सक्रिय उपस्थिति बनाए रखना मध्य एशिया में प्रभाव और क्षेत्रीय स्थिरता हेतु आवश्यक है। भले ही तालिबान शासन को औपचारिक मान्यता न मिली हो, परन्तु मानवीय सहयोग, सुरक्षा समन्वय और साझा हितों के आधार पर एक नया राजनयिक ढांचा उभरता दिखाई दे रहा है।

Originally written on November 3, 2025 and last modified on November 3, 2025.

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