भारतीय सेना ने शुरू की स्वदेशी सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो (SDR) की तैनाती
रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, भारतीय सेना ने पहली बार स्वदेशी रूप से विकसित और निर्मित सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो (SDR) की खरीद के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा डिज़ाइन किए गए और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) द्वारा निर्मित ये अत्याधुनिक रेडियो, सेना की सुरक्षित संचार प्रणाली और संचालन क्षमता को आधुनिक युद्ध की सूचना-केंद्रित आवश्यकताओं के अनुरूप सशक्त बनाएंगे।
सामरिक संचार को नई गति देने वाले आधुनिक SDR
नई SDR प्रणालियाँ उच्च डाटा दर और मोबाइल एड-हॉक नेटवर्क (MANET) क्षमताओं से सुसज्जित हैं, जिससे कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में भी रीयल-टाइम, सुरक्षित और लचीला संचार संभव हो सकेगा। ये रेडियो नेटवर्क-सेंट्रिक वॉरफेयर रणनीति का अहम हिस्सा बनेंगे, जिससे सामरिक अभियानों के दौरान इकाइयों के बीच समन्वय बेहतर होगा। अतिरिक्त महानिदेशक, जनसूचना (ADGPI) के अनुसार, इन रेडियो की तैनाती भारत की सैन्य संचार अधोसंरचना के आधुनिकीकरण में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
इंडियन रेडियो सॉफ्टवेयर आर्किटेक्चर (IRSA) का विकास
SDR की यह खरीद हाल ही में लॉन्च किए गए भारतीय रेडियो सॉफ्टवेयर आर्किटेक्चर (IRSA) स्टैंडर्ड 1.0 की शुरुआत के बाद हुई है, जिसे DRDO ने एकीकृत रक्षा स्टाफ (IDS) और तीनों सेनाओं के साथ मिलकर विकसित किया है। IRSA एक समग्र सॉफ्टवेयर ढांचा है, जो SDR के लिए इंटरफेस, API और वेवफॉर्म पोर्टेबिलिटी मानकों को परिभाषित करता है। यह विभिन्न रक्षा संचार प्लेटफार्मों के बीच इंटरऑपरेबिलिटी, प्रमाणीकरण और अनुकूलता सुनिश्चित करता है।
IRSA का आधिकारिक उद्घाटन अक्टूबर 2025 में नई दिल्ली स्थित DRDO भवन में आयोजित एक राष्ट्रीय कार्यशाला में किया गया, जिसमें वरिष्ठ रक्षा अधिकारी और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ शामिल हुए।
सहयोग आधारित तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र
IRSA परियोजना 2021 में शुरू हुई थी और इसमें DRDO, रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों, औद्योगिक विशेषज्ञों और शैक्षणिक संस्थानों का सक्रिय सहयोग रहा। वर्ष 2025 में अनुमोदित पहला संस्करण भारत के लिए एक統ीकृत राष्ट्रीय SDR सॉफ्टवेयर मानक स्थापित करता है। इस पहल का लक्ष्य न केवल राष्ट्रीय उपयोग के लिए बल्कि वैश्विक निर्यात के लिए भी SDR प्रौद्योगिकियों में भारत को एक अग्रणी केंद्र बनाना है।
IRSA लॉन्च वर्कशॉप में DRDO अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत, एकीकृत रक्षा स्टाफ प्रमुख एयर मार्शल अशुतोष दीक्षित, और IIT गांधीनगर के निदेशक रजत मूना जैसे प्रमुख विशेषज्ञों ने भाग लिया।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- भारतीय सेना ने SDR खरीद का पहला अनुबंध अक्टूबर 2025 में किया।
- SDR का विकास DRDO द्वारा और निर्माण BEL द्वारा किया गया है।
- IRSA संस्करण 1.0 को 2025 में भारत के पहले SDR सॉफ्टवेयर मानक के रूप में मंजूरी मिली।
- SDR में MANET क्षमताएं हैं जो सुरक्षित और वास्तविक समय के युद्धक्षेत्र संचार को सक्षम बनाती हैं।
आत्मनिर्भर भारत में रक्षा प्रौद्योगिकी को बढ़ावा
स्वदेशी SDR की तैनाती “आत्मनिर्भर भारत” पहल के तहत रक्षा प्रौद्योगिकी में एक बड़ा कदम है। IRSA के माध्यम से सेना, नौसेना और वायुसेना के बीच संचार आर्किटेक्चर का मानकीकरण और इंटरऑपरेबिलिटी सुनिश्चित की जा रही है, जो भविष्य में उच्च स्तरीय तकनीकी उन्नयन और एकीकृत संचार तंत्र के लिए आधार तैयार करता है।
यह पहल न केवल भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को सुदृढ़ करती है, बल्कि IRSA-मानक SDR प्रणालियों को मित्र देशों को निर्यात करने की संभावना को भी बढ़ाती है, जिससे भारत की वैश्विक रक्षा तकनीकी उपस्थिति मजबूत होती है।