भारतीय सेना की रूपांतरण पहल: भैरव लाइट कमांडो बटालियन जल्द परिचालन में
भारतीय सेना अपनी संचालन क्षमता और सीमापार प्रतिक्रिया कौशल को बढ़ाने के उद्देश्य से भैरव लाइट कमांडो बटालियनों (Bhairav) की तैनाती कर रही है। इन विशेषीकृत हल्की कमांडो इकाइयों का लक्ष्य पारंपरिक इन्फैंट्री और स्पेशल फोर्सेज के बीच की खाई को पाटना है ताकि पैरास्पेशल फोर्सेज को अधिक रणनीतिक तथा संवेदनशील अभियानों के लिए मुक्त रखा जा सके। हाल के बयानों के अनुसार पाँच भैरव बटालियन पहले ही पूर्ण रूप से कार्यरत हैं, चार बटालियन उठाई जा रही हैं और शेष १६ बटालियन अगले छह महीनों के भीतर परिचालन में आने का लक्ष्य रखा गया है।
संरचना और प्रशिक्षण
भैरव बटालियन एक समेकित, “ऑल-आर्म” संरचना पर आधारित हैं जिसमें इन्फैंट्री के साथ एयर डिफेन्स, आर्टिलरी और सिग्नल जैसी शाखाओं से भी कर्मियों का समावेश किया गया है। प्रत्येक भैरव इकाई की ताकत लगभग २५० कर्मियों के आसपास होगी, जो गटाक प्लाटून (लगभग २० सदस्य) से स्पष्ट रूप से भिन्न है। चयन प्रक्रिया में इन्फैंट्री रेजिमेंटल सेंटर्स की भूमिका है — एक पारंपरिक “सोन ऑफ द सोइल” विचारधारा के अनुरूप स्थानीय प्रतिभाओं को चुना और प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रारम्भिक प्रशिक्षण के उपरांत इन सैनिकों को स्पेशल फोर्सेज प्रशिक्षण केन्द्रों में अतिरिक्त कौशल प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि सीमापार और उच्च-जोखिम मिशनों हेतु तैयारी सुनिश्चित हो सके।
तैनाती एवं भूमिकाएँ
भैरव बटालियनें सीमापार अभियान, टोही (reconnaissance) और दुश्मन संचालन विघटन (disruption) के लिए डिज़ाइन की गई हैं। तीन इकाइयां पहले ही उत्तरी कमान में शामिल कर दी गई हैं — १४ कॉर्प्स (लेह), १५ कॉर्प्स (श्रीनगर) और १६ कॉर्प्स (नागरोटा)। अन्य यूनिट्स को पश्चिमी रेगिस्तानी तथा पूर्वी पर्वतीय क्षेत्रों में भी तैनात किया जा चुका है। इन इकाइयों का उद्देश्य उच्च-प्रभाव वाले त्वरित अभियानों को अंजाम देना है; परन्तु इन्हें स्पेशल फोर्सेज जैसी गहन रणनीतिक जिम्मेदारियाँ नहीं सौंपी जाएँगी और न ही ये भारी-कठोर हथियारों से समान रूप से लैस होंगी। भैरव बटालियनें पैरास्पेशल फोर्सेज की भूमिका का भार घटाकर उन्हें अधिक संवेदनशील और रणनीतिक कार्यों पर केन्द्रित करने में मदद करेंगी।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- प्रत्येक भैरव बटालियन की सशक्तता लगभग २५० कर्मी मानी गई है।
- गटाक प्लाटून लगभग २० सदस्यों का होता है और यह सेना में अपनी विशिष्ट भूमिका बनाए रखेगा।
- हर इन्फैंट्री यूनिट में Ashni प्लाटून (लगभग २० कर्मी) ऑपरेशनल किया गया है, जो ISR और लूटरिंग म्युनिशन्स ड्रोन संचालित करते हैं।
- CQB कारबाइन परियोजना के तहत ४,२५,२१३ यूनिट्स की आवश्यकता बताई गई है; आपूर्ति प्रमुख रूप से Bharat Forge और PLR Systems द्वारा की जाएगी।
उपकरण एवं आधुनिकीकरण
सेना आधुनिक और शहरी संघर्ष-उन्मुख हथियारों व प्लेटफार्मों की ओर बढ़ रही है। निकट भविष्य में Close Quarter Battle (CQB) कारबाइनें शहरी निकट-लड़ाई और काउंटर-टेरर ऑपरेशन्स के लिए अनुबंध के तहत उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके अतिरिक्त आपातकालीन खरीद मार्ग से जेवलिन एटीजीएम और लॉन्चर भी लिये जाने की प्रक्रिया में हैं, जो बख्तरबंद लक्ष्यों के खिलाफ उच्च प्रभावी वार करने में सक्षम हैं। साथ ही Ashni प्लाटून और अन्य ड्रोन प्लेटफॉर्म्स से इकाइयों की ISR तथा फायर पावर क्षमताएँ बढ़ाई जा रही हैं।