भारतीय सिनेमा की दिग्गज नृत्यांगना कुमारी कमला का निधन
भारतीय सिनेमा की प्रारंभिक बाल प्रतिभाओं में से एक और भरतनाट्यम की अग्रणी शास्त्रीय नृत्यांगना कुमारी कमला का 91 वर्ष की आयु में अमेरिका में निधन हो गया। लगभग एक सदी तक फैले उनके शानदार करियर ने भारतीय प्रदर्शन कलाओं पर अमिट छाप छोड़ी। उनकी नृत्य शैली, अभिव्यक्ति और मंच उपस्थिति ने भारतीय शास्त्रीय नृत्य को लोकप्रिय संस्कृति का हिस्सा बना दिया।
असाधारण आरंभिक जीवन
कुमारी कमला का जन्म 1934 में मयूरम (अब मयिलादुथुरै), तमिलनाडु में हुआ था। उन्होंने मात्र तीन वर्ष की आयु में बॉम्बे (अब मुंबई) में सांस्कृतिक आयोजनों में नृत्य प्रदर्शन शुरू कर दिया था। बाल्यावस्था में उन्होंने “देश भक्ति” जैसी नाट्य प्रस्तुतियों में भाग लिया, जिससे फ़िल्म निर्माताओं का ध्यान उनकी ओर गया। 1930 के दशक के उत्तरार्ध तक वे “वलिबार संगम” और “राम नाम महामाई” जैसी फिल्मों में अभिनय, नृत्य और गायन कर रही थीं।
राष्ट्रीय पहचान की ओर उदय
1940 के दशक में कुमारी कमला ने हिंदी सिनेमा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। “शादी”, “कंचन” और विशेष रूप से 1943 की ब्लॉकबस्टर फिल्म “किस्मत” में उनके नृत्य ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उसी वर्ष “राम राज्य” में प्रस्तुत उनका कथक नृत्य अत्यंत सराहा गया। इसके बाद उनकी मां ने उन्हें प्रसिद्ध भरतनाट्यम गुरु वझुवूर रामैया पिल्लई के संरक्षण में प्रशिक्षण दिलाया, जिसने उन्हें वझुवूर शैली की प्रमुख प्रतिनिधि बना दिया।
सिनेमा में अमर नृत्य प्रस्तुतियाँ
कुमारी कमला के नृत्य दृश्यों ने भारतीय सिनेमा में शास्त्रीय नृत्य को नई पहचान दिलाई। “जगतलप्रथापन” (1944) की सर्प नृत्य और “नाम इरूवर” (1947) की ड्रम डांस प्रस्तुति आज भी क्लासिक मानी जाती हैं। इन दृश्यों में उन्होंने तकनीकी नवाचार जैसे ‘डबल एक्सपोज़र’ के साथ कला का अद्भुत संगम दिखाया। “पराशक्ति” (1952), “चोरी चोरी” (1956) और “पावई विलक्कु” (1960) में उनकी नृत्य अभिव्यक्ति ने उन्हें भारतीय फिल्म इतिहास की सबसे accomplished नृत्यांगनाओं में स्थान दिलाया, जबकि “कंजुम सलंगई” (1962) ने उनके शिल्प को अमर बना दिया।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- कुमारी कमला ने भरतनाट्यम गुरु वझुवूर रामैया पिल्लई से प्रशिक्षण प्राप्त किया था।
- उन्होंने तमिल, हिंदी, तेलुगु और कन्नड़ फिल्मों में करीब 100 से अधिक फिल्मों में काम किया।
- उनके प्रसिद्ध नृत्य प्रदर्शन “किस्मत”, “राम राज्य”, “नाम इरूवर” और “कंजुम सलंगई” में देखे गए।
- उनका विवाह प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट आर. के. लक्ष्मण से हुआ था, जो 1960 तक चला।
कुमारी कमला की विरासत भारतीय शास्त्रीय नृत्य और सिनेमा के संगम का प्रतीक है। उनकी फिल्म सिवगंगई सीमाई में किया गया “तांडव” आज भी सिनेमाई नृत्य की उत्कृष्टता का मानदंड माना जाता है। अमेरिका में अध्यापन के दौरान उन्होंने अनेक विद्यार्थियों को प्रशिक्षित कर अपनी कला को नई पीढ़ियों तक पहुँचाया। उनका योगदान भारतीय संस्कृति में सदैव प्रेरणा स्रोत बना रहेगा।