भारतीय नौसेना को मिली ‘तरागिरी’ फ्रिगेट: आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम
भारतीय नौसेना ने 28 नवंबर 2025 को ‘तरागिरी’ (Yard 12653) नामक चौथी निलगिरी श्रेणी की फ्रिगेट को अपने बेड़े में शामिल किया है। यह प्रोजेक्ट 17ए के तहत मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड द्वारा निर्मित तीसरी युद्धपोत है। यह उपलब्धि भारत की स्वदेशी युद्धपोत निर्माण क्षमता और आत्मनिर्भरता के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। साथ ही यह 33 वर्षों तक सेवा देने वाले पूर्व ‘आईएनएस तरागिरी’ की गौरवशाली विरासत को भी पुनर्जीवित करती है।
निलगिरी श्रेणी के प्रोजेक्ट 17ए की खासियतें
प्रोजेक्ट 17ए फ्रिगेट्स को वारशिप डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन किया गया है और वारशिप ओवरसीइंग टीम द्वारा निगरानी में तैयार किया गया है। इन फ्रिगेट्स में आधुनिक स्टेल्थ तकनीक, उन्नत जीवटता (survivability) और स्वचालन (automation) के उच्च स्तर शामिल हैं। ‘तरागिरी’ का डिज़ाइन रडार संकेतों को कम करता है और यह पूरी तरह से भारत के “आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन” विज़न के अनुरूप है।
प्रणोदन प्रणाली और एकीकृत प्रबंधन
यह युद्धपोत CODOG (Combined Diesel or Gas) प्रणाली से लैस है, जिसमें डीज़ल इंजन और गैस टरबाइन दोनों का संयोजन है। इससे जहाज को गति, ऊर्जा दक्षता और संचालन में लचीलापन मिलता है। Integrated Platform Management System (IPMS) जहाज के सभी प्रमुख प्रणालियों के नियंत्रण और निगरानी को एकीकृत करता है, जिससे बहु-खतरा स्थितियों में जहाज की उत्तरजीविता क्षमता बढ़ती है।
हथियार और सेंसर प्रणाली
‘तरागिरी’ को बहु-आयामी युद्ध क्षमता देने के लिए इसमें ब्रह्मोस सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें, MFSTAR रडार, MRSAM (मीडियम रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल) प्रणाली, 76 मिमी सुपर रैपिड गन माउंट, क्लोज-इन वेपन सिस्टम, एंटी-सबमरीन रॉकेट और टॉरपीडो लगाए गए हैं। इन अत्याधुनिक प्रणालियों के चलते यह जहाज वायु, सतह और पनडुब्बी युद्ध के सभी क्षेत्रों में सक्षम है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- ‘तरागिरी’ प्रोजेक्ट 17ए की चौथी फ्रिगेट है, जिसका निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने किया।
- इसे 28 नवंबर 2025 को भारतीय नौसेना को सौंपा गया।
- निर्माण अवधि केवल 81 माह में पूरी हुई, जो पूर्व जहाजों के अनुभव से संभव हुआ।
- प्रोजेक्ट 17ए में लगभग 75% स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है, जिसमें 200 से अधिक एमएसएमई शामिल हैं।
स्वदेशी जहाज निर्माण में प्रगति
पिछले 11 महीनों में चार प्रोजेक्ट 17ए फ्रिगेट्स की त्वरित आपूर्ति भारत की बढ़ती निर्माण क्षमता और दक्षता का प्रमाण है। अगस्त 2026 तक शेष तीन जहाज भी नौसेना को सौंपे जाने की योजना है। यह परियोजना न केवल हजारों लोगों को रोजगार दे रही है, बल्कि भारत को एक उभरती समुद्री शक्ति के रूप में भी सशक्त बना रही है।