भारतीय अंतरिक्ष स्थितिजन्य मूल्यांकन रिपोर्ट (ISSAR) 2024: अंतरिक्ष सुरक्षा और स्थिरता की दिशा में इसरो की पहल

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 22 अप्रैल 2025 को भारतीय अंतरिक्ष स्थितिजन्य मूल्यांकन रिपोर्ट (ISSAR) 2024 जारी की, जो अंतरिक्ष सुरक्षा और स्थिरता के क्षेत्र में इसरो की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह रिपोर्ट ISRO के IS4OM (Safe and Sustainable Space Operations Management) प्रणाली द्वारा संकलित की गई है।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य: अंतरिक्ष में बढ़ती गतिविधियाँ

2024 में वैश्विक स्तर पर 261 प्रक्षेपण प्रयास हुए, जिनमें से 254 सफल रहे और 2,963 वस्तुएँ कक्षा में स्थापित की गईं। हालांकि यह संख्या 2023 की तुलना में कम थी, लेकिन अंतरिक्ष मलबे की संख्या में वृद्धि हुई। तीन प्रमुख ऑन-ऑर्बिट ब्रेक-अप घटनाओं के कारण लगभग 702 नए मलबे के टुकड़े उत्पन्न हुए। इसके अतिरिक्त, 2,095 वस्तुएँ वायुमंडल में पुनः प्रवेश कर गईं, जिनमें 335 स्टारलिंक उपग्रह शामिल थे, जिन्हें जानबूझकर डी-ऑर्बिट किया गया था। सौर गतिविधियों में वृद्धि के कारण ऑर्बिटल डिके की गति भी बढ़ी।

भारतीय परिदृश्य: इसरो की उपलब्धियाँ

2024 के अंत तक, भारत ने कुल 136 अंतरिक्ष यान प्रक्षेपित किए, जिनमें सरकारी, निजी और शैक्षणिक संस्थानों के उपग्रह शामिल हैं। वर्तमान में, भारत के पास LEO (Low Earth Orbit) में 22 और GEO (Geosynchronous Earth Orbit) में 31 सक्रिय उपग्रह हैं। इसके अलावा, चंद्रयान-2 ऑर्बिटर और आदित्य-L1 जैसे दो डीप स्पेस मिशन भी सक्रिय हैं।
2024 में इसरो ने श्रीहरिकोटा से पांच सफल प्रक्षेपण किए: PSLV-C58/XPoSat, PSLV-C59/PROBA-3, PSLV-C60/SPADEX, GSLV-F14/INSAT-3DS, और SSLV-D3/EOS-08। इसके अतिरिक्त, GSAT-20 और TSAT-1A को स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया गया।

टकराव से बचाव: इसरो की सक्रियता

2024 में इसरो ने अपने उपग्रहों को संभावित टकराव से बचाने के लिए 10 टकराव परिहार युक्तियाँ (Collision Avoidance Manoeuvres – CAMs) कीं। इनमें से 6 LEO और 4 GEO में थीं। चंद्रयान-2 के लिए भी एक कक्षा रखरखाव युक्ति को अग्रिम किया गया ताकि NASA के लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर के साथ संभावित टकराव से बचा जा सके।
इसरो ने 2024 में 53,000 से अधिक निकट संपर्क अलर्ट का विश्लेषण किया और 89 कक्षा युक्ति योजनाओं को संशोधित किया ताकि युक्ति के बाद संभावित टकराव से बचा जा सके। GEO उपग्रहों के लिए भी दो योजनाओं में संशोधन किया गया।

प्रक्षेपण सुरक्षा: COLA विश्लेषण

प्रक्षेपण वाहनों के लिए टकराव परिहार विश्लेषण (COLA) किया गया। PSLV-C60/SPADEX मिशन का प्रक्षेपण 2 मिनट 15 सेकंड के लिए विलंबित किया गया ताकि अन्य अंतरिक्ष वस्तुओं के साथ संभावित टकराव से बचा जा सके। अन्य सभी प्रक्षेपण समय पर और सुरक्षित रूप से संपन्न हुए।

मिशन समाप्ति और मलबा प्रबंधन

इसरो ने स्कैटसैट-1 को 12 युक्तियों के माध्यम से डी-ऑर्बिट किया और 26 सितंबर 2024 को इसे निष्क्रिय किया। INS-2B और EOS-7 उपग्रहों को भी पुनः प्रवेश से पहले निष्क्रिय किया गया। PSLV-C58 और PSLV-C60 के ऊपरी चरणों को 350 किमी की कक्षा में डी-ऑर्बिट किया गया, जिससे उनका जीवनकाल लगभग 3 महीने तक सीमित रहा।

अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और DFSM पहल

इसरो ने अंतर्राष्ट्रीय मंचों जैसे IADC, IAA, IAF, ISO, और UN-COPUOS में सक्रिय भागीदारी की। 2024 में, इसरो ने 42वें वार्षिक IADC बैठक की अध्यक्षता की और बेंगलुरु में इसकी मेजबानी की। इस बैठक में भारत ने “Debris Free Space Mission (DFSM)” की घोषणा की, जिसका उद्देश्य 2030 तक सभी भारतीय अंतरिक्ष मिशनों को मलबा-मुक्त बनाना है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • IS4OM: ISRO की प्रणाली जो अंतरिक्ष सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है।
  • CAMs: टकराव परिहार युक्तियाँ, जो उपग्रहों को संभावित टकराव से बचाने के लिए की जाती हैं।
  • COLA: प्रक्षेपण वाहनों के लिए टकराव परिहार विश्लेषण, जो प्रक्षेपण समय की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
  • DFSM: “Debris Free Space Mission”, 2030 तक सभी भारतीय अंतरिक्ष मिशनों को मलबा-मुक्त बनाने की पहल।
  • NETRA: ISRO का स्वदेशी अंतरिक्ष स्थितिजन्य जागरूकता परियोजना, जो अंतरिक्ष मलबे और अन्य खतरों की निगरानी करता है।
  • POEM: PSLV Orbital Experimental Module, जो प्रक्षेपण के बाद तकनीकी प्रदर्शन के लिए उपयोग किया जाता है।
  • Aditya-L1: सूर्य का अध्ययन करने वाला भारत का पहला अंतरिक्ष मिशन, जो Lagrange Point 1 पर स्थित है।
  • Chandrayaan-2: भारत का दूसरा चंद्र मिशन, जिसका ऑर्बिटर अब भी सक्रिय है।

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