भारतीय अंटार्कटिक विधेयक (Indian Antarctic Bill) 2022 के ड्राफ्ट को मंज़ूरी दी गई

अंटार्कटिका में भारत की अनुसंधान गतिविधियों के लिए एक नियामक ढांचा प्रदान करने और महाद्वीप के पर्यावरण की रक्षा के लिए भारत के केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा एक मसौदा कानून को मंजूरी दी गई है।
मुख्य बिंदु
- पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने भारतीय अंटार्कटिका विधेयक (Indian Antarctica Bill) का संचालन किया है।
- इस बिल से 1982 के अंटार्कटिक समुद्री जीवित संसाधनों के संरक्षण पर कन्वेंशन (Convention on the Conservation of Antarctic Marine Living Resources), 1959 की अंटार्कटिक संधि और 1998 के अंटार्कटिक के लिए पर्यावरण संरक्षण पर प्रोटोकॉल के तहत राष्ट्र के दायित्वों को पूरा करने में मदद की उम्मीद है।
- यह बिल संसद के बजट सत्र में पेश होने जा रहा है।
- भारत का अंटार्कटिक कार्यक्रम 1981 में शुरू हुआ था और तब से अब तक 40 वैज्ञानिक अभियान पूरे किए जा चुके हैं।
- भारत ने महाद्वीप पर तीन बेस भी बनाए हैं।
अंटार्कटिका में भारत के बेस स्टेशन
अब तक, भारत में अंटार्कटिका में दो पूरी तरह से काम करने वाले बेस स्टेशन हैं जिनका नाम मैत्री (1988 में स्थापित किया गया था) और भारती (2012 में स्थापित किया गया था) हैं। दक्षिण गंगोत्री नामक एक अन्य बेस को 1983 में स्थापित किया गया था, लेकिन यह वर्तमान में कार्यात्मक नहीं है।
एक और बेस स्थापित करने की योजना है जो मैत्री की जगह लेगा क्योंकि इसने अपनी लंबी अवधि को पार कर लिया है। मैत्री बेस को जितनी जल्दी हो सके बदलने की जरूरत है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय समितियों ने कहा है कि यह अब पर्यावरण के अनुकूल नहीं है
Originally written on
March 28, 2022
and last modified on
March 28, 2022.