भारतनेट योजना: डिजिटल भारत की नींव या अधूरी कल्पना?

भारत सरकार द्वारा ग्रामीण भारत में हाई-स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी लाने के उद्देश्य से शुरू की गई भारतनेट योजना देश की सबसे महत्वाकांक्षी डिजिटल परियोजनाओं में से एक रही है। हालांकि, 2004 से शुरू हुई इस यात्रा ने अनेक बदलाव देखे हैं — और अब यह सवाल उठता है कि क्या यह योजना अपने असली लक्ष्य को हासिल कर पा रही है?

भारतनेट की शुरुआत और विकास

2004 में नेशनल ब्रॉडबैंड प्लान के रूप में जिस डिजिटल क्रांति की परिकल्पना की गई थी, उसका वास्तविक क्रियान्वयन 2011 में नेशनल ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क (NOFN) के तहत हुआ। इसका उद्देश्य था 1 लाख ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ना।
हालांकि प्रारंभिक पायलट प्रोजेक्ट — राजस्थान, त्रिपुरा और आंध्र प्रदेश में — वांछित परिणाम नहीं दे पाए। कारण थे:

  • अल्पकालिक संविदा आधारित संरचना
  • स्थानीय स्वामित्व की कमी
  • संचालन में राज्यों की उदासीनता

भारतनेट और डिजिटल इंडिया

2014 में, भारतनेट को डिजिटल इंडिया कार्यक्रम से जोड़कर दो चरणों में पुनः शुरू किया गया:

  • चरण I: 1 लाख पंचायतों को BSNL, RailTel और Power Grid Corporation के माध्यम से जोड़ना।
  • चरण II: 1.5 लाख पंचायतों को जोड़ने का लक्ष्य, जो अगस्त 2021 तक बढ़ाया गया।

इस चरण में राज्य-नेतृत्व मॉडल, निजी क्षेत्र मॉडल और CPSU-नेतृत्व मॉडल जैसे विभिन्न दृष्टिकोण अपनाए गए।

बुनियादी ढांचे की उपलब्धता बनाम उपयोग

हालांकि फाइबर कनेक्टिविटी कागजों पर पूरी हो चुकी थी, लेकिन उसका वास्तविक उपयोग न्यूनतम रहा। कई पंचायत भवनों और स्कूलों में ऑप्टिकल नेटवर्क टर्मिनल (ONT) लगाए गए, लेकिन:

  • बिजली की अनियमितता से उपकरण बेकार पड़े रहे
  • उपकरणों की चोरी या खराबी आम रही
  • जिम्मेदारी और स्वामित्व की स्पष्टता नहीं थी

BBNL की भूमिका और विफलता

भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड (BBNL) की स्थापना निजी सेवा प्रदाताओं को प्रोत्साहित करने के लिए की गई थी। लेकिन:

  • अधिकांश अधिकारी BSNL से प्रतिनियुक्त थे, जिससे नौकरशाही संस्कृति बनी रही
  • मेंटेनेंस की कमी और खराब शिकायत निवारण प्रणाली
  • उपकरणों की समय से पहले खराबी
  • अंततः BBNL को BSNL में विलय कर दिया गया

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • NOFN योजना: 2011 में शुरू, उद्देश्य 1 लाख ग्राम पंचायतों को जोड़ना
  • भारतनेट योजना: 2014 में पुनः लॉन्च, डिजिटल इंडिया का अंग
  • फेज I & II लक्ष्य: कुल 2.5 लाख पंचायतों तक फाइबर कनेक्टिविटी
  • BBNL: विशेष उद्देश्य वाहन (SPV) जो अब BSNL में विलय हो चुका है
  • मुख्य समस्याएँ: अंतिम मील कनेक्टिविटी, स्वामित्व की अस्पष्टता, उपकरणों की खराबी, और प्रक्रिया-केंद्रित प्रणाली

समाधान की दिशा में सुझाव

  • स्थानीय उद्यमी आधारित मॉडल: ब्लॉक या जिला स्तर पर ठेके देकर जवाबदेही बढ़ाई जा सकती है।
  • DBT आधारित सब्सिडी मॉडल: ग्रामीण परिवारों को ब्रॉडबैंड सेवा हेतु सीधी सब्सिडी मिले, जिससे निजी सेवा प्रदाता निवेश के लिए प्रोत्साहित हों।
  • सैटेलाइट ब्रॉडबैंड: कठिन भौगोलिक क्षेत्रों के लिए लो-अर्थ-ऑर्बिट सैटेलाइट तकनीक का उपयोग बढ़ाया जा सकता है।

भारतनेट जैसी परियोजना तभी सफल हो सकती है जब केंद्र से गाँव तक इसे एक सेवा-आधारित और नागरिक-केंद्रित दृष्टिकोण से अपनाया जाए। केवल फाइबर बिछाने से डिजिटल इंडिया का सपना साकार नहीं होगा — इसके लिए वास्तविक कनेक्टिविटी, स्थानीय भागीदारी और नवाचार आधारित मॉडल आवश्यक हैं। समय की मांग है कि इस मिशन को फिर से परिभाषित किया जाए ताकि भारत का ग्रामीण हिस्सा डिजिटल युग से वंचित न रह जाए।

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